انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. ऐ ख़ुदावन्द, कब तक? क्या तू हमेशा मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना चेहरा मुझ से छिपाए रख्खेगा?
2. कब तक मैं जी ही जी में मन्सूबा बाँधता रहूँ, और सारे दिन अपने दिल में ग़म किया करू? कब तक मेरा दुश्मन मुझ पर सर बुलन्द रहेगा?
3. ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, मेरी तरफ़ तवज्जुह कर और मुझे जवाब दे। मेरी आँखे रोशन कर, ऐसा न हो कि मुझे मौत की नींद आ जाए
4. ऐसा न हो कि मेरा दुश्मन कहे, कि मैं इस पर ग़ालिब आ गया। ऐसा न हो कि जब मैं जुम्बिश खाऊँ तो मेरे मुखालिफ़ ख़ुश हों।
5. लेकिन मैंने तो तेरी रहमत पर भरोसा किया है; मेरा दिल तेरी नजात से खु़श होगा।
6. मैं ख़ुदावन्द का हम्द गाऊँगा क्यूँकि उसने मुझ पर एहसान किया है। [PE]

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زبُور 13:136
1 ऐ ख़ुदावन्द, कब तक? क्या तू हमेशा मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना चेहरा मुझ से छिपाए रख्खेगा? 2 कब तक मैं जी ही जी में मन्सूबा बाँधता रहूँ, और सारे दिन अपने दिल में ग़म किया करू? कब तक मेरा दुश्मन मुझ पर सर बुलन्द रहेगा? 3 ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, मेरी तरफ़ तवज्जुह कर और मुझे जवाब दे। मेरी आँखे रोशन कर, ऐसा न हो कि मुझे मौत की नींद आ जाए 4 ऐसा न हो कि मेरा दुश्मन कहे, कि मैं इस पर ग़ालिब आ गया। ऐसा न हो कि जब मैं जुम्बिश खाऊँ तो मेरे मुखालिफ़ ख़ुश हों। 5 लेकिन मैंने तो तेरी रहमत पर भरोसा किया है; मेरा दिल तेरी नजात से खु़श होगा। 6 मैं ख़ुदावन्द का हम्द गाऊँगा क्यूँकि उसने मुझ पर एहसान किया है।
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