انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. [PS]मैं ख़ुश हुआ जब वह मुझ से कहने लगे “आओ ख़ुदावन्द के घर चलें।”
2. ऐ येरूशलेम! हमारे क़दम, तेरे फाटकों के अन्दर हैं।
3. ऐ येरूशलेम तू ऐसे शहर के तरह है जो गुनजान बना हो।
4. जहाँ क़बीले या'नी ख़ुदावन्द के क़बीले, इस्राईल की शहादत के लिए, ख़ुदावन्द के नाम का शुक्र करने को जातें हैं।
5. क्यूँकि वहाँ 'अदालत के तख़्त, या'नी दाऊद के ख़ान्दान के तख़्त क़ाईम हैं।
6. येरूशलेम की सलामती की दुआ करो, वह जो तुझ से मुहब्बत रखते हैं इकबालमंद होंगे।
7. तेरी फ़सील के अन्दर सलामती, और तेरे महलों में इकबालमंदी हो।
8. मैं अपने भाइयों और दोस्तों की ख़ातिर, अब कहूँगा तुझ में सलामती रहे!
9. ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर की ख़ातिर, मैं तेरी भलाई का तालिब रहूँगा। [PE]
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1 मैं ख़ुश हुआ जब वह मुझ से कहने लगे “आओ ख़ुदावन्द के घर चलें।” 2 ऐ येरूशलेम! हमारे क़दम, तेरे फाटकों के अन्दर हैं। 3 ऐ येरूशलेम तू ऐसे शहर के तरह है जो गुनजान बना हो। 4 जहाँ क़बीले या'नी ख़ुदावन्द के क़बीले, इस्राईल की शहादत के लिए, ख़ुदावन्द के नाम का शुक्र करने को जातें हैं। 5 क्यूँकि वहाँ 'अदालत के तख़्त, या'नी दाऊद के ख़ान्दान के तख़्त क़ाईम हैं। 6 येरूशलेम की सलामती की दुआ करो, वह जो तुझ से मुहब्बत रखते हैं इकबालमंद होंगे। 7 तेरी फ़सील के अन्दर सलामती, और तेरे महलों में इकबालमंदी हो। 8 मैं अपने भाइयों और दोस्तों की ख़ातिर, अब कहूँगा तुझ में सलामती रहे! 9 ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर की ख़ातिर, मैं तेरी भलाई का तालिब रहूँगा।
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