انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. मैंने मुसीबत में ख़ुदावन्द से फ़रियाद की, और उसने मुझे जवाब दिया।
2. झूटे होंटों और दग़ाबाज़ ज़बान से, ऐ ख़ुदावन्द, मेरी जान को छुड़ा।
3. ऐ दग़ाबाज़ ज़बान, तुझे क्या दिया जाए? और तुझ से और क्या किया जाए?
4. ज़बरदस्त के तेज़ तीर, झाऊ के अंगारों के साथ।
5. मुझ पर अफ़सोस कि मैं मसक में बसता, और क़ीदार के ख़ैमों में रहता हूँ।
6. सुलह के दुश्मन के साथ रहते हुए, मुझे बड़ी मुद्दत हो गई।
7. मैं तो सुलह दोस्त हूँ। लेकिन जब बोलता हूँ तो वह जंग पर आमादा हो जाते हैं। [PE]

Notes

No Verse Added

Total 150 ابواب, Selected باب 120 / 150
زبُور 120:85
1 मैंने मुसीबत में ख़ुदावन्द से फ़रियाद की, और उसने मुझे जवाब दिया। 2 झूटे होंटों और दग़ाबाज़ ज़बान से, ऐ ख़ुदावन्द, मेरी जान को छुड़ा। 3 ऐ दग़ाबाज़ ज़बान, तुझे क्या दिया जाए? और तुझ से और क्या किया जाए? 4 ज़बरदस्त के तेज़ तीर, झाऊ के अंगारों के साथ। 5 मुझ पर अफ़सोस कि मैं मसक में बसता, और क़ीदार के ख़ैमों में रहता हूँ। 6 सुलह के दुश्मन के साथ रहते हुए, मुझे बड़ी मुद्दत हो गई। 7 मैं तो सुलह दोस्त हूँ। लेकिन जब बोलता हूँ तो वह जंग पर आमादा हो जाते हैं।
Total 150 ابواب, Selected باب 120 / 150
Common Bible Languages
West Indian Languages
×

Alert

×

urdu Letters Keypad References