انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. [PS]हिकमत ने अपना घर बना लिया, उसने अपने सातों सुतून तराश लिए हैं।
2. उसने अपने जानवरों को ज़बह कर लिया, और अपनी मय मिला कर तैयार कर ली; उसने अपना दस्तरख़्वान भी चुन लिया।
3. उसने अपनी सहेलियों को रवाना किया है; वह ख़ुद शहर की ऊँची जगहों पर पुकारती है,
4. “जो सादा दिल है, इधर आ जाए!” और बे'अक़्ल से वह यह कहती है,
5. “आओ, मेरी रोटी में से खाओ, और मेरी मिलाई हुई मय में से पियो।
6. ऐ सादा दिलो, बाज़ आओ और ज़िन्दा रहो, और समझ की राह पर चलो।”
7. ठठ्ठा बाज़ को तम्बीह करने वाला ला'नतान उठाएगा, और शरीर को मलामत करने वाले पर धब्बा लगेगा।
8. ठठ्ठाबाज़ को मलामत न कर, ऐसा न हो कि वह तुझ से 'अदावत रखने लगे; 'अक़्लमंद को मलामत कर, और वह तुझ से मुहब्बत रख्खेगा।
9. 'अक़्लमंद की तरबियत कर, और वह और भी 'अक़्लमंद बन जाएगा; सादिक़ को सिखा और वह 'इल्म में तरक़्क़ी करेगा।
10. ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ हिकमत का शुरू' है, और उस क़ुद्दुस की पहचान समझ है।
11. क्यूँकि मेरी बदौलत तेरे दिन बढ़ जाएँगे, और तेरी ज़िन्दगी के साल ज़्यादा होंगे।
12. अगर तू 'अक़्लमंद है तो अपने लिए, और अगर तू ठठ्ठाबाज़ है तो ख़ुद ही भुगतेगा। [PE]
13. {नादान औरत का पुकारना } [PS]बेवक़ूफ़ 'औरत गौग़ाई है; वह नादान है और कुछ नहीं जानती।
14. वह अपने घर के दरवाज़े पर, शहर की ऊँची जगहों में बैठ जाती है;
15. ताकिआने जाने वालों को बुलाए, जो अपने अपने रास्ते पर सीधे जा रहें हैं,
16. “सादा दिल इधर आ जाएँ,” और बे'अक़्ल से वह यह कहती है,
17. “चोरी का पानी मीठा है, और पोशीदगी की रोटी लज़ीज़।”
18. लेकिन वह नहीं जानता कि वहाँ मुर्दे पड़े हैं, और उस 'औरत के मेहमान पाताल की तह में हैं। [PE]
Total 31 ابواب, Selected باب 9 / 31
1 हिकमत ने अपना घर बना लिया, उसने अपने सातों सुतून तराश लिए हैं। 2 उसने अपने जानवरों को ज़बह कर लिया, और अपनी मय मिला कर तैयार कर ली; उसने अपना दस्तरख़्वान भी चुन लिया। 3 उसने अपनी सहेलियों को रवाना किया है; वह ख़ुद शहर की ऊँची जगहों पर पुकारती है, 4 “जो सादा दिल है, इधर आ जाए!” और बे'अक़्ल से वह यह कहती है, 5 “आओ, मेरी रोटी में से खाओ, और मेरी मिलाई हुई मय में से पियो। 6 ऐ सादा दिलो, बाज़ आओ और ज़िन्दा रहो, और समझ की राह पर चलो।” 7 ठठ्ठा बाज़ को तम्बीह करने वाला ला'नतान उठाएगा, और शरीर को मलामत करने वाले पर धब्बा लगेगा। 8 ठठ्ठाबाज़ को मलामत न कर, ऐसा न हो कि वह तुझ से 'अदावत रखने लगे; 'अक़्लमंद को मलामत कर, और वह तुझ से मुहब्बत रख्खेगा। 9 'अक़्लमंद की तरबियत कर, और वह और भी 'अक़्लमंद बन जाएगा; सादिक़ को सिखा और वह 'इल्म में तरक़्क़ी करेगा। 10 ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ हिकमत का शुरू' है, और उस क़ुद्दुस की पहचान समझ है। 11 क्यूँकि मेरी बदौलत तेरे दिन बढ़ जाएँगे, और तेरी ज़िन्दगी के साल ज़्यादा होंगे। 12 अगर तू 'अक़्लमंद है तो अपने लिए, और अगर तू ठठ्ठाबाज़ है तो ख़ुद ही भुगतेगा। 13 {नादान औरत का पुकारना } बेवक़ूफ़ 'औरत गौग़ाई है; वह नादान है और कुछ नहीं जानती। 14 वह अपने घर के दरवाज़े पर, शहर की ऊँची जगहों में बैठ जाती है; 15 ताकिआने जाने वालों को बुलाए, जो अपने अपने रास्ते पर सीधे जा रहें हैं, 16 “सादा दिल इधर आ जाएँ,” और बे'अक़्ल से वह यह कहती है, 17 “चोरी का पानी मीठा है, और पोशीदगी की रोटी लज़ीज़।” 18 लेकिन वह नहीं जानता कि वहाँ मुर्दे पड़े हैं, और उस 'औरत के मेहमान पाताल की तह में हैं।
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