1. {बीज बोने वाले किसान की तमसील } [PS]वो फिर झील के किनारे ता'लीम देने लगा; और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ जमा हो गई, वो झील में एक नाव में जा बैठा और सारी भीड़ ख़ुश्की पर झील के किनारे रही।
2. और वो उनको मिसालों में बहुत सी बातें सिखाने लगा, और अपनी ता'लीम में उनसे कहा।
3. [SCJ]“सुनो! देखो; एक बोने वाला बीज बोने निकला।[SCJ.]
4. [SCJ]और बोते वक़्त यूँ हुआ कि कुछ राह के किनारे गिरा और परिन्दों ने आकर उसे चुग लिया।[SCJ.]
5. [SCJ]ओर कुछ पत्थरीली ज़मीन पर गिरा, जहाँ उसे बहुत मिट्टी न मिली और गहरी मिट्टी न मिलने की वजह से जल्द उग आया।[SCJ.]
6. [SCJ]और जब सुरज निकला तो जल गया और जड़ न होने की वजह से सूख गया।[SCJ.]
7. [SCJ]और कुछ झाड़ियों में गिरा और झाड़ियों ने बढ़कर दबा लिया, और वो फल न लाया।[SCJ.]
8. [SCJ]और कुछ अच्छी ज़मीन पर गिरा और वो उगा और बढ़कर फला; और कोई तीस गुना कोई साठ गुना कोई सौ गुना फल लाया।”[SCJ.]
9. “फिर उसने कहा! [SCJ]जिसके सुनने के कान हों वो सुन ले।”[SCJ.] [PE]
10. [PS]जब वो अकेला रह गया तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उसे इन मिसालों के बारे में पूछा?
11. उसने उनसे कहा [SCJ]“तुम को ख़ुदा की बादशाही का भी राज़ दिया गया है; मगर उनके लिए जो बाहर हैं सब बातें मिसालों में होती हैं[SCJ.]
12. [SCJ]ताकि वो देखते हुए देखें और मा'लूम न करें‘ और सुनते हुए सुनें और न समझें’ऐसा न हो कि वो फिर जाएँ और मु'आफ़ी पाएँ।”[SCJ.] [PE]
13. [PS]फिर उसने उनसे कहा [SCJ]“क्या तुम ये मिसाल नहीं समझे? फिर सब मिसालों को क्यूँकर समझोगे?[SCJ.]
14. [SCJ]बोनेवाला कलाम बोता है।[SCJ.]
15. [SCJ]जो राह के किनारे हैं जहाँ कलाम बोया जाता है ये वो हैं कि जब उन्होंने सुना तो शैतान फ़ौरन आकर उस कलाम को जो उस में बोया गया था, उठा ले जाता है।[SCJ.]
16. [SCJ]और इसी तरह जो पत्थरीली ज़मीन में बोए गए, ये वो हैं जो कलाम को सुन कर फ़ौरन ख़ुशी से क़बूल कर लेते हैं।[SCJ.]
17. [SCJ]और अपने अन्दर जड़ नहीं रखते, बल्कि चन्द रोज़ा हैं, फिर जब कलाम की वजह से मुसीबत या ज़ुल्म बर्पा होता है तो फ़ौरन ठोकर खाते हैं।[SCJ.]
18. [SCJ]और जो झाड़ियों में बोए गए, वो और हैं ये वो हैं जिन्होंने कलाम सुना।[SCJ.]
19. [SCJ]और दुनिया की फ़िक्र और दौलत का धोखा और और चीज़ों का लालच दाख़िल होकर कलाम को दबा देते हैं, और वो बेफल रह जाता है।”[SCJ.]
20. [SCJ]और जो अच्छी ज़मीन में बोए गए, ये वो हैं जो कलाम को सुनते और क़ुबूल करते और फल लाते हैं; कोई तीस गुना कोई साठ गुना और कोई सौ गुना।”[SCJ.] [PE]
21. [PS]और उसने उनसे कहा [SCJ]“क्या चराग़ इसलिए जलाते हैं कि पैमाना या पलंग के नीचे रख्खा जाए? क्या इसलिए नहीं कि चिराग़दान पर रख्खा जाए।”[SCJ.]
22. [SCJ]क्यूँकि कोई चीज़ छिपी नहीं मगर इसलिए कि ज़ाहिर हो जाए, और पोशीदा नहीं हुई, मगर इसलिए कि सामने में आए।[SCJ.]
23. [SCJ]अगर किसी के सुनने के कान हों तो सुन लें।”[SCJ.] [PE]
24. [PS]फिर उसने उनसे कहा [SCJ]“ख़बरदार रहो; कि क्या सुनते हो जिस पैमाने से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिए नापा जाएगा, और तुम को ज़्यादा दिया जाएगा।[SCJ.]
25. [SCJ]क्यूँकि जिस के पास है उसे दिया जाएगा और जिसके पास नहीं है उस से वो भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।”[SCJ.] [PE]
26. [PS]और उसने कहा [SCJ]“ख़ुदा की बादशाही ऐसी है जैसे कोई आदमी ज़मीन में बीज डाले।[SCJ.]
27. [SCJ]और रात को सोए और दिन को जागे और वो बीज इस तरह उगे और बढ़े कि वो न जाने।[SCJ.]
28. [SCJ]ज़मीन आप से आप फल लाती है, पहले पत्ती फिर बालों में तैयार दाने।[SCJ.]
29. [SCJ]फिर जब अनाज पक चुका तो वो फ़ौरन दरान्ती लगाता है क्यूँकि काटने का वक़्त आ पहुँचा।”[SCJ.] [PE]
30. [PS]फिर उसने कहा [SCJ]“हम ख़ुदा की बादशाही को किससे मिसाल दें और किस मिसाल में उसे बयान करें?[SCJ.]
31. [SCJ]वो राई के दाने की तरह है कि जब ज़मीन में बोया जाता है तो ज़मीन के सब बीजों से छोटा होता है।[SCJ.]
32. [SCJ]मगर जब बो दिया गया तो उग कर सब तरकारियों से बड़ा हो जाता है और ऐसी बड़ी डालियाँ निकालता है कि हवा के परिन्दे उसके साए में बसेरा कर सकते हैं।”[SCJ.]
33. और वो उनको इस क़िस्म की बहुत सी मिसालें दे दे कर उनकी समझ के मुताबिक़ कलाम सुनाता था।
34. और बे मिसाल उनसे कुछ न कहता था, लेकिन तन्हाई में अपने ख़ास शागिर्दों से सब बातों के मा'ने बयान करता था। [PE]
35. [PS]उसी दिन जब शाम हुई तो उसने उनसे कहा [SCJ]“आओ पार चलें।”[SCJ.]
36. और वो भीड़ को छोड़ कर उसे जिस हाल में वो था, नाव पर साथ ले चले, और उसके साथ और नावें भी थीं।
37. तब बड़ी आँधी चली और लहरें नाव पर यहाँ तक आईं कि नाव पानी से भरी जाती थी।
38. और वो ख़ुद पीछे की तरफ़ गद्दी पर सो रहा था “पस उन्होंने उसे जगा कर कहा? ऐ उस्ताद क्या तुझे फ़िक्र नहीं कि हम हलाक हुए जाते हैं।”
39. उसने उठकर हवा को डाँटा और पानी से कहा [SCJ]“साकित हो या'नी थम जा!”[SCJ.] पस हवा बन्द हो गई, और बड़ा अमन हो गया।
40. फिर उसने कहा [SCJ]“तुम क्यूँ डरते हो? अब तक ईमान नहीं रखते।”[SCJ.]
41. और वो निहायत डर गए और आपस में कहने लगे “ये कौन है कि हवा और पानी भी इसका हुक्म मानते हैं।” [PE]