انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. चूँकि बहुतों ने इस पर कमर बाँधी है कि जो बातें हमारे दरमियान वाक़े' हुईं उनको सिलसिलावार बयान करें।
2. जैसा कि उन्होंने जो शुरू' से ख़ुद देखने वाले और कलाम के ख़ादिम थे उनको हम तक पहुँचाया।
3. इसलिए ऐ मु'अज़्ज़िज़ थियुफ़िलुस! मैंने भी मुनासिब जाना कि सब बातों का सिलसिला शुरू' से ठीक — ठीक मालूम करके उनको तेरे लिए तरतीब से लिखूँ।
4. ताकि जिन बातों की तूने तालीम पाई है उनकी पुख़्तगी तुझे मालूम हो जाए। [PE][PS]
5. यहूदिया के बादशाह हेरोदेस के ज़माने में अबिय्याह के फ़रीके में से ज़करियाह नाम एक काहिन था और उसकी बीवी हारून की औलाद में से थी और उसका नाम इलीशिबा 'था।
6. और वो दोनों ख़ुदा के सामने रास्तबाज़ और ख़ुदावन्द के सब अहकाम — ओ — क़वानीन पर बे — 'ऐब चलने वाले थे।
7. और उनके औलाद न थी क्यूँकि इलीशिबा' बाँझ थी और दोनों उम्र रसीदा थे। [PE][PS]
8. जब वो ख़ुदा के हुज़ूर अपने फ़रीके की बारी पर इमामत का काम अन्जाम देता था तो ऐसा हुआ,
9. कि इमामत के दस्तूर के मुवाफ़िक़ उसके नाम की पर्ची निकली कि ख़ुदावन्द के हुज़ूरी में जाकर ख़ुशबू जलाए।
10. और लोगों की सारी जमा 'अत ख़ुशबू जलाते वक़्त बाहर दुआ कर रही थी।
11. अचानक ख़ुदा का एक फ़रिश्ता ज़ाहिर हुआ जो ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह के दहनी तरफ़ खड़ा हुआ उसको दिखाई दिया।
12. उसे देख कर ज़करियाह घबराया और बहुत डर गया।
13. लेकिन फ़रिश्ते ने उस से कहा, ज़करियाह, मत डर! ख़ुदा ने तेरी दुआ सुन ली है। तेरी बीवी इलीशिबा के बेटा होगा। उस का नाम युहन्ना रखना।
14. वह न सिर्फ़ तेरे लिए ख़ुशी और मुसर्रत का बाइस होगा, बल्कि बहुत से लोग उस की पैदाइश पर ख़ुशी मनाएँगे।
15. क्यूँकि वह ख़ुदा के नज़दीक अज़ीम होगा। ज़रूरी है कि वह मय और शराब से परहेज़ करे। वह पैदा होने से पहले ही रूह — उल — क़ुद्दूस से भरपूर होगा।
16. और इस्राईली क़ौम में से बहुतों को ख़ुदा उन के ख़ुदा के पास वापस लाएगा।
17. वह एलियाह की रूह और क़ुव्वत से ख़ुदावन्द के आगे आगे चलेगा। उस की ख़िदमत से वालिदों के दिल अपने बच्चों की तरफ़ माइल हो जाएँगे और नाफ़रमान लोग रास्तबाज़ों की अक़्लमन्दी की तरफ़ फिरेंगे। यूँ वह इस क़ौम को ख़ुदा के लिए तय्यार करेगा।”
18. ज़करियाह ने फ़रिश्ते से पूछा, “मैं किस तरह जानूँ कि यह बात सच है? मैं ख़ुद बूढ़ा हूँ और मेरी बीवी भी उम्र रसीदा है।”
19. फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “मैं जिब्राईल हूँ जो ख़ुदावन्द के सामने खड़ा रहता हूँ। मुझे इसी मक़्सद के लिए भेजा गया है कि तुझे यह ख़ुशख़बरी सुनाऊँ।
20. लेकिन तूने मेरी बात का यक़ीन नहीं किया इस लिए तू ख़ामोश रहेगा और उस वक़्त तक बोल नहीं सकेगा जब तक तेरे बेटा पैदा न हो। मेरी यह बातें अपने वक़्त पर ही पूरी होंगी।”
21. इस दौरान बाहर के लोग ज़करियाह के इन्तिज़ार में थे। वह हैरान होते जा रहे थे कि उसे वापस आने में क्यूँ इतनी देर हो रही है।
22. आख़िरकार वह बाहर आया, लेकिन वह उन से बात न कर सका। तब उन्हों ने जान लिया कि उस ने ख़ुदा के घर में ख़्वाब देखा है। उस ने हाथों से इशारे तो किए, लेकिन ख़ामोश रहा।
23. ज़करियाह अपने वक़्त तक ख़ुदा के घर में अपनी ख़िदमत अन्जाम देता रहा, फिर अपने घर वापस चला गया।
24. थोड़े दिनों के बाद उस की बीवी इलीशिबा हामिला हो गई और वह पाँच माह तक घर में छुपी रही।
25. उस ने कहा, “ख़ुदावन्द ने मेरे लिए कितना बड़ा काम किया है, क्यूँकि अब उस ने मेरी फ़िक्र की और लोगों के सामने से मेरी रुस्वाई दूर कर दी।” [PE][PS]
26. इलीशिबा छः माह से हामिला थी जब ख़ुदा ने जिब्राईल फ़रिश्ते को एक कुँवारी के पास भेजा जो नासरत में रहती थी। नासरत गलील का एक शहर है और कुँवारी का नाम मरियम था।
27. उस की मंगनी एक मर्द के साथ हो चुकी थी जो दाऊद बादशाह की नस्ल से था और जिस का नाम यूसुफ़ था।
28. फ़रिश्ते ने उस के पास आ कर कहा, “ऐ ख़ातून जिस पर ख़ुदा का ख़ास फ़ज़ल हुआ है, सलाम! ख़ुदा तेरे साथ है।”
29. मरियम यह सुन कर घबरा गई और सोचा, यह किस तरह का सलाम है?
30. लेकिन फ़रिश्ते ने अपनी बात जारी रखी और कहा, “ऐ मरियम, मत डर, क्यूँकि तुझ पर ख़ुदा का फ़ज़ल हुआ है।
31. तू हमिला हो कर एक बेटे को पैदा करेगी। तू उस का नाम ईसा (नजात देने वाला) रखना।
32. वह बड़ा होगा और ख़ुदावन्द का बेटा कहलाएगा। ख़ुदा हमारा ख़ुदा उसे उस के बाप दाऊद के तख़्त पर बिठाएगा
33. और वह हमेशा तक इस्राईल पर हुकूमत करेगा। उस की सल्तनत कभी ख़त्म न होगी।”
34. मरियम ने फ़रिश्ते से कहा, “यह क्यूँकर हो सकता है? अभी तो मैं कुँवारी हूँ।”
35. फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “रूह — उल — क़ुद्दूस तुझ पर नाज़िल होगा, ख़ुदावन्द की क़ुदरत का साया तुझ पर छा जाएगा। इस लिए यह बच्चा क़ुद्दूस होगा और ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।
36. और देख, तेरी रिश्तेदार इलीशिबा के भी बेटा होगा हालाँकि वह उम्ररसीद है। गरचे उसे बाँझ क़रार दिया गया था, लेकिन वह छः माह से हामिला है।
37. क्यूँकि ख़ुदा के नज़दीक कोई काम नामुमकिन नहीं है।”
38. मरियम ने जवाब दिया, “मैं ख़ुदा की ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ। मेरे साथ वैसा ही हो जैसा आप ने कहा है।” इस पर फ़रिश्ता चला गया। [PE][PS]
39. उन दिनों में मरियम यहूदिया के पहाड़ी इलाक़े के एक शहर के लिए रवाना हुई। उस ने जल्दी जल्दी सफ़र किया।
40. वहाँ पहुँच कर वह ज़करियाह के घर में दाख़िल हुई और इलीशिबा को सलाम किया।
41. मरियम का यह सलाम सुन कर इलीशिबा का बच्चा उस के पेट में उछल पड़ा और इलीशिबा ख़ुद रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गई।
42. उस ने बुलन्द आवाज़ से कहा, “तू तमाम औरतों में मुबारिक़ है और मुबारिक़ है तेरा बच्चा!
43. मैं कौन हूँ कि मेरे ख़ुदावन्द की माँ मेरे पास आई!
44. जैसे ही मैं ने तेरा सलाम सुना बच्चा मेरे पेट में ख़ुशी से उछल पड़ा।
45. तू कितनी मुबारिक़ है, क्यूँकि तू ईमान लाई कि जो कुछ ख़ुदा ने फ़रमाया है वह पूरा होगा।” [PE][PS]
46. इस पर मरियम ने कहा, [QBR] “मेरी जान ख़ुदा की बड़ाई करती है [QBR]
47. और मेरी रूह मेरे मुन्जी [QBR] ख़ुदावन्द से बहुत ख़ुश है। [QBR]
48. क्यूँकि उस ने अपनी ख़ादिमा की पस्ती पर [QBR] नज़र की है। हाँ, [QBR] अब से तमाम नसलें मुझे मुबारिक़ कहेंगी, [QBR]
49. क्यूँकि उस क़ादिर ने मेरे लिए [QBR] बड़े — बड़े काम किए हैं, और उसका नाम पाक है। [QBR]
50. और ख़ौफ़ रहम उन पर [QBR] जो उससे डरते हैं, [QBR] पुश्त — दर — पुश्त रहता है। [QBR]
51. उसने अपने बाज़ू से ज़ोर दिखाया, [QBR] और जो अपने आपको बड़ा समझते थे [QBR] उनको तितर बितर किया। [QBR]
52. उसने इख़्तियार वालों को तख़्त से [QBR] गिरा दिया, [QBR] और पस्तहालों को बुलन्द किया। [QBR]
53. उसने भूखों को अच्छी चीज़ों से [QBR] सेर कर दिया, [QBR] और दौलतमन्दों को ख़ाली हाथ लौटा दिया। [QBR]
54. उसने अपने ख़ादिम इस्राईल को संभाल लिया, [QBR] ताकि अपनी उस रहमत को याद फ़रमाए। [QBR]
55. जो अब्रहाम और उसकी नस्ल पर हमेशा तक रहेगी, [QBR] जैसा उसने हमारे बाप — दादा से कहा था।” [PE][PS]
56. और मरियम तीन महीने के क़रीब उसके साथ रहकर अपने घर को लौट गई। [PE][PS]
57. और इलीशिबा' के वज़'ए हम्ल का वक़्त आ पहुँचा और उसके बेटा हुआ।
58. उसके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने ये सुनकर कि ख़ुदावन्द ने उस पर बड़ी रहमत की, उसके साथ ख़ुशी मनाई।
59. और आठवें दिन ऐसा हुआ कि वो लड़के का ख़तना करने आए और उसका नाम उसके बाप के नाम पर ज़करियाह रखने लगे।
60. मगर उसकी माँ ने कहा, “नहीं बल्कि उसका नाम युहन्ना रखा जाए।”
61. उन्होंने कहा, “तेरे ख़ानदान में किसी का ये नाम नहीं।”
62. और उन्होंने उसके बाप को इशारा किया कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है?
63. उसने तख़्ती माँग कर ये लिखा, उसका नाम युहन्ना है, और सब ने ता'ज्जुब किया।
64. उसी दम उसका मुँह और ज़बान खुल गई और वो बोलने और ख़ुदा की हम्द करने लगा।
65. और उनके आसपास के सब रहने वालों पर दहशत छा गई और यहूदिया के तमाम पहाड़ी मुल्क में इन सब बातों की चर्चा फैल गई।
66. और उनके सब सुनने वालों ने उनको सोच कर दिलों में कहा, “तो ये लड़का कैसा होने वाला है?” क्यूँकि ख़ुदावन्द का हाथ उस पर था। [PE][PS]
67. और उस का बाप ज़करियाह रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गया और नबुव्वत की राह से कहने लगा कि: [QBR]
68. “ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की हम्द हो क्यूँकि [QBR] उसने अपनी उम्मत पर तवज्जुह करके [QBR] उसे छुटकारा दिया। [QBR]
69. और अपने ख़ादिम दाऊद के घराने में [QBR] हमारे लिए नजात का सींग [QBR] निकाला, [QBR]
70. (जैसा उसने अपने पाक नबियों की ज़बानी कहा था जो [QBR] कि दुनिया के शुरू' से होते आए है) [QBR]
71. या'नी हम को हमारे दुश्मनों से और सब [QBR] बुग़्ज़ रखने वालों के हाथ से नजात बख़्शी। [QBR]
72. ताकि हमारे बाप — दादा पर रहम करे और अपने [QBR] पाक 'अहद को याद फ़रमाए। [QBR]
73. या'नी उस क़सम को जो उसने हमारे बाप [QBR] अब्रहाम से खाई थी, [QBR]
74. कि वो हमें ये बख़्शिश देगा कि अपने [QBR] दुश्मनों के हाथ से छूटकर, [QBR]
75. उसके सामने पाकीज़गी और रास्तबाज़ी [QBR] से उम्र भर बेख़ौफ़ उसकी इबादत करें [QBR]
76. और ऐ लड़के तू ख़ुदा ता'ला का [QBR] नबी कहलाएगा [QBR] क्यूँकि तू ख़ुदावन्द की राहें तैयार करने को [QBR] उसके आगे आगे चलेगा, [QBR]
77. ताकि उसकी उम्मत को नजात का 'इल्म बख़्शे [QBR] जो उनको गुनाहों की मु'आफ़ी से हासिल हो। [QBR]
78. ये हमारे ख़ुदा की रहमत से होगा; [QBR] जिसकी वजह से 'आलम — ए — बाला का सूरज हम पर निकलेगा, [QBR]
79. ताकि उनको जो अन्धेरे और मौत के साए में बैठे हैं रोशनी बख़्शे, [QBR] और हमारे क़दमों को सलामती की राह पर डाले।” [QBR]
80. और वो लड़का बढ़ता और रूह में क़ुव्वत पाता गया, और इस्राईल पर ज़ाहिर होने के दिन तक जंगलों में रहा। [PE]

Notes

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Total 24 Chapters, Current Chapter 1 of Total Chapters 24
لُوقا 1:40
1. चूँकि बहुतों ने इस पर कमर बाँधी है कि जो बातें हमारे दरमियान वाक़े' हुईं उनको सिलसिलावार बयान करें।
2. जैसा कि उन्होंने जो शुरू' से ख़ुद देखने वाले और कलाम के ख़ादिम थे उनको हम तक पहुँचाया।
3. इसलिए मु'अज़्ज़िज़ थियुफ़िलुस! मैंने भी मुनासिब जाना कि सब बातों का सिलसिला शुरू' से ठीक ठीक मालूम करके उनको तेरे लिए तरतीब से लिखूँ।
4. ताकि जिन बातों की तूने तालीम पाई है उनकी पुख़्तगी तुझे मालूम हो जाए। PEPS
5. यहूदिया के बादशाह हेरोदेस के ज़माने में अबिय्याह के फ़रीके में से ज़करियाह नाम एक काहिन था और उसकी बीवी हारून की औलाद में से थी और उसका नाम इलीशिबा 'था।
6. और वो दोनों ख़ुदा के सामने रास्तबाज़ और ख़ुदावन्द के सब अहकाम क़वानीन पर बे 'ऐब चलने वाले थे।
7. और उनके औलाद थी क्यूँकि इलीशिबा' बाँझ थी और दोनों उम्र रसीदा थे। PEPS
8. जब वो ख़ुदा के हुज़ूर अपने फ़रीके की बारी पर इमामत का काम अन्जाम देता था तो ऐसा हुआ,
9. कि इमामत के दस्तूर के मुवाफ़िक़ उसके नाम की पर्ची निकली कि ख़ुदावन्द के हुज़ूरी में जाकर ख़ुशबू जलाए।
10. और लोगों की सारी जमा 'अत ख़ुशबू जलाते वक़्त बाहर दुआ कर रही थी।
11. अचानक ख़ुदा का एक फ़रिश्ता ज़ाहिर हुआ जो ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह के दहनी तरफ़ खड़ा हुआ उसको दिखाई दिया।
12. उसे देख कर ज़करियाह घबराया और बहुत डर गया।
13. लेकिन फ़रिश्ते ने उस से कहा, ज़करियाह, मत डर! ख़ुदा ने तेरी दुआ सुन ली है। तेरी बीवी इलीशिबा के बेटा होगा। उस का नाम युहन्ना रखना।
14. वह सिर्फ़ तेरे लिए ख़ुशी और मुसर्रत का बाइस होगा, बल्कि बहुत से लोग उस की पैदाइश पर ख़ुशी मनाएँगे।
15. क्यूँकि वह ख़ुदा के नज़दीक अज़ीम होगा। ज़रूरी है कि वह मय और शराब से परहेज़ करे। वह पैदा होने से पहले ही रूह उल क़ुद्दूस से भरपूर होगा।
16. और इस्राईली क़ौम में से बहुतों को ख़ुदा उन के ख़ुदा के पास वापस लाएगा।
17. वह एलियाह की रूह और क़ुव्वत से ख़ुदावन्द के आगे आगे चलेगा। उस की ख़िदमत से वालिदों के दिल अपने बच्चों की तरफ़ माइल हो जाएँगे और नाफ़रमान लोग रास्तबाज़ों की अक़्लमन्दी की तरफ़ फिरेंगे। यूँ वह इस क़ौम को ख़ुदा के लिए तय्यार करेगा।”
18. ज़करियाह ने फ़रिश्ते से पूछा, “मैं किस तरह जानूँ कि यह बात सच है? मैं ख़ुद बूढ़ा हूँ और मेरी बीवी भी उम्र रसीदा है।”
19. फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “मैं जिब्राईल हूँ जो ख़ुदावन्द के सामने खड़ा रहता हूँ। मुझे इसी मक़्सद के लिए भेजा गया है कि तुझे यह ख़ुशख़बरी सुनाऊँ।
20. लेकिन तूने मेरी बात का यक़ीन नहीं किया इस लिए तू ख़ामोश रहेगा और उस वक़्त तक बोल नहीं सकेगा जब तक तेरे बेटा पैदा हो। मेरी यह बातें अपने वक़्त पर ही पूरी होंगी।”
21. इस दौरान बाहर के लोग ज़करियाह के इन्तिज़ार में थे। वह हैरान होते जा रहे थे कि उसे वापस आने में क्यूँ इतनी देर हो रही है।
22. आख़िरकार वह बाहर आया, लेकिन वह उन से बात कर सका। तब उन्हों ने जान लिया कि उस ने ख़ुदा के घर में ख़्वाब देखा है। उस ने हाथों से इशारे तो किए, लेकिन ख़ामोश रहा।
23. ज़करियाह अपने वक़्त तक ख़ुदा के घर में अपनी ख़िदमत अन्जाम देता रहा, फिर अपने घर वापस चला गया।
24. थोड़े दिनों के बाद उस की बीवी इलीशिबा हामिला हो गई और वह पाँच माह तक घर में छुपी रही।
25. उस ने कहा, “ख़ुदावन्द ने मेरे लिए कितना बड़ा काम किया है, क्यूँकि अब उस ने मेरी फ़िक्र की और लोगों के सामने से मेरी रुस्वाई दूर कर दी।” PEPS
26. इलीशिबा छः माह से हामिला थी जब ख़ुदा ने जिब्राईल फ़रिश्ते को एक कुँवारी के पास भेजा जो नासरत में रहती थी। नासरत गलील का एक शहर है और कुँवारी का नाम मरियम था।
27. उस की मंगनी एक मर्द के साथ हो चुकी थी जो दाऊद बादशाह की नस्ल से था और जिस का नाम यूसुफ़ था।
28. फ़रिश्ते ने उस के पास कर कहा, “ऐ ख़ातून जिस पर ख़ुदा का ख़ास फ़ज़ल हुआ है, सलाम! ख़ुदा तेरे साथ है।”
29. मरियम यह सुन कर घबरा गई और सोचा, यह किस तरह का सलाम है?
30. लेकिन फ़रिश्ते ने अपनी बात जारी रखी और कहा, “ऐ मरियम, मत डर, क्यूँकि तुझ पर ख़ुदा का फ़ज़ल हुआ है।
31. तू हमिला हो कर एक बेटे को पैदा करेगी। तू उस का नाम ईसा (नजात देने वाला) रखना।
32. वह बड़ा होगा और ख़ुदावन्द का बेटा कहलाएगा। ख़ुदा हमारा ख़ुदा उसे उस के बाप दाऊद के तख़्त पर बिठाएगा
33. और वह हमेशा तक इस्राईल पर हुकूमत करेगा। उस की सल्तनत कभी ख़त्म होगी।”
34. मरियम ने फ़रिश्ते से कहा, “यह क्यूँकर हो सकता है? अभी तो मैं कुँवारी हूँ।”
35. फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “रूह उल क़ुद्दूस तुझ पर नाज़िल होगा, ख़ुदावन्द की क़ुदरत का साया तुझ पर छा जाएगा। इस लिए यह बच्चा क़ुद्दूस होगा और ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।
36. और देख, तेरी रिश्तेदार इलीशिबा के भी बेटा होगा हालाँकि वह उम्ररसीद है। गरचे उसे बाँझ क़रार दिया गया था, लेकिन वह छः माह से हामिला है।
37. क्यूँकि ख़ुदा के नज़दीक कोई काम नामुमकिन नहीं है।”
38. मरियम ने जवाब दिया, “मैं ख़ुदा की ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ। मेरे साथ वैसा ही हो जैसा आप ने कहा है।” इस पर फ़रिश्ता चला गया। PEPS
39. उन दिनों में मरियम यहूदिया के पहाड़ी इलाक़े के एक शहर के लिए रवाना हुई। उस ने जल्दी जल्दी सफ़र किया।
40. वहाँ पहुँच कर वह ज़करियाह के घर में दाख़िल हुई और इलीशिबा को सलाम किया।
41. मरियम का यह सलाम सुन कर इलीशिबा का बच्चा उस के पेट में उछल पड़ा और इलीशिबा ख़ुद रूह उल क़ुद्दूस से भर गई।
42. उस ने बुलन्द आवाज़ से कहा, “तू तमाम औरतों में मुबारिक़ है और मुबारिक़ है तेरा बच्चा!
43. मैं कौन हूँ कि मेरे ख़ुदावन्द की माँ मेरे पास आई!
44. जैसे ही मैं ने तेरा सलाम सुना बच्चा मेरे पेट में ख़ुशी से उछल पड़ा।
45. तू कितनी मुबारिक़ है, क्यूँकि तू ईमान लाई कि जो कुछ ख़ुदा ने फ़रमाया है वह पूरा होगा।” PEPS
46. इस पर मरियम ने कहा,
“मेरी जान ख़ुदा की बड़ाई करती है
47. और मेरी रूह मेरे मुन्जी
ख़ुदावन्द से बहुत ख़ुश है।
48. क्यूँकि उस ने अपनी ख़ादिमा की पस्ती पर
नज़र की है। हाँ,
अब से तमाम नसलें मुझे मुबारिक़ कहेंगी,
49. क्यूँकि उस क़ादिर ने मेरे लिए
बड़े बड़े काम किए हैं, और उसका नाम पाक है।
50. और ख़ौफ़ रहम उन पर
जो उससे डरते हैं,
पुश्त दर पुश्त रहता है।
51. उसने अपने बाज़ू से ज़ोर दिखाया,
और जो अपने आपको बड़ा समझते थे
उनको तितर बितर किया।
52. उसने इख़्तियार वालों को तख़्त से
गिरा दिया,
और पस्तहालों को बुलन्द किया।
53. उसने भूखों को अच्छी चीज़ों से
सेर कर दिया,
और दौलतमन्दों को ख़ाली हाथ लौटा दिया।
54. उसने अपने ख़ादिम इस्राईल को संभाल लिया,
ताकि अपनी उस रहमत को याद फ़रमाए।
55. जो अब्रहाम और उसकी नस्ल पर हमेशा तक रहेगी,
जैसा उसने हमारे बाप दादा से कहा था।” PEPS
56. और मरियम तीन महीने के क़रीब उसके साथ रहकर अपने घर को लौट गई। PEPS
57. और इलीशिबा' के वज़'ए हम्ल का वक़्त पहुँचा और उसके बेटा हुआ।
58. उसके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने ये सुनकर कि ख़ुदावन्द ने उस पर बड़ी रहमत की, उसके साथ ख़ुशी मनाई।
59. और आठवें दिन ऐसा हुआ कि वो लड़के का ख़तना करने आए और उसका नाम उसके बाप के नाम पर ज़करियाह रखने लगे।
60. मगर उसकी माँ ने कहा, “नहीं बल्कि उसका नाम युहन्ना रखा जाए।”
61. उन्होंने कहा, “तेरे ख़ानदान में किसी का ये नाम नहीं।”
62. और उन्होंने उसके बाप को इशारा किया कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है?
63. उसने तख़्ती माँग कर ये लिखा, उसका नाम युहन्ना है, और सब ने ता'ज्जुब किया।
64. उसी दम उसका मुँह और ज़बान खुल गई और वो बोलने और ख़ुदा की हम्द करने लगा।
65. और उनके आसपास के सब रहने वालों पर दहशत छा गई और यहूदिया के तमाम पहाड़ी मुल्क में इन सब बातों की चर्चा फैल गई।
66. और उनके सब सुनने वालों ने उनको सोच कर दिलों में कहा, “तो ये लड़का कैसा होने वाला है?” क्यूँकि ख़ुदावन्द का हाथ उस पर था। PEPS
67. और उस का बाप ज़करियाह रूह उल क़ुद्दूस से भर गया और नबुव्वत की राह से कहने लगा कि:
68. “ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की हम्द हो क्यूँकि
उसने अपनी उम्मत पर तवज्जुह करके
उसे छुटकारा दिया।
69. और अपने ख़ादिम दाऊद के घराने में
हमारे लिए नजात का सींग
निकाला,
70. (जैसा उसने अपने पाक नबियों की ज़बानी कहा था जो
कि दुनिया के शुरू' से होते आए है)
71. या'नी हम को हमारे दुश्मनों से और सब
बुग़्ज़ रखने वालों के हाथ से नजात बख़्शी।
72. ताकि हमारे बाप दादा पर रहम करे और अपने
पाक 'अहद को याद फ़रमाए।
73. या'नी उस क़सम को जो उसने हमारे बाप
अब्रहाम से खाई थी,
74. कि वो हमें ये बख़्शिश देगा कि अपने
दुश्मनों के हाथ से छूटकर,
75. उसके सामने पाकीज़गी और रास्तबाज़ी
से उम्र भर बेख़ौफ़ उसकी इबादत करें
76. और लड़के तू ख़ुदा ता'ला का
नबी कहलाएगा
क्यूँकि तू ख़ुदावन्द की राहें तैयार करने को
उसके आगे आगे चलेगा,
77. ताकि उसकी उम्मत को नजात का 'इल्म बख़्शे
जो उनको गुनाहों की मु'आफ़ी से हासिल हो।
78. ये हमारे ख़ुदा की रहमत से होगा;
जिसकी वजह से 'आलम बाला का सूरज हम पर निकलेगा,
79. ताकि उनको जो अन्धेरे और मौत के साए में बैठे हैं रोशनी बख़्शे,
और हमारे क़दमों को सलामती की राह पर डाले।”
80. और वो लड़का बढ़ता और रूह में क़ुव्वत पाता गया, और इस्राईल पर ज़ाहिर होने के दिन तक जंगलों में रहा। PE
Total 24 Chapters, Current Chapter 1 of Total Chapters 24
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