انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. {येसु, बाप तक जाने का रस्ता } [PS] [SCJ]“तुम्हारा दिल न घबराए। तुम ख़ुदा पर ईमान रखते हो, मुझ पर भी ईमान रखो।[SCJ.]
2. [SCJ]मेरे आसमानी बाप के घर में बेशुमार मकान हैं। अगर ऐसा न होता तो क्या मैं तुम को बताता कि मैं तुम्हारे लिए जगह तय्यार करने के लिए वहाँ जा रहा हूँ?[SCJ.]
3. [SCJ]और अगर मैं जा कर तुम्हारे लिए जगह तय्यार करूँ तो वापस आ कर तुम को अपने साथ ले जाऊँगा ताकि जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम भी हो।”[SCJ.] [PE]
4. [PS] [SCJ]“और जहाँ मैं जा रहा हूँ उस की राह तुम जानते हो।”[SCJ.]
5. तोमा बोल उठा, “ख़ुदावन्द, हमें मालूम नहीं कि आप कहाँ जा रहे हैं। तो फिर हम उस की राह किस तरह जानें?”
6. ईसा ने जवाब दिया, [SCJ]“राह हक़ और ज़िन्दगी मैं हूँ। कोई मेरे वसीले के बग़ैर बाप के पास नहीं आ सकता।[SCJ.]
7. [SCJ]अगर तुम ने मुझे जान लिया है तो इस का मतलब है कि तुम मेरे बाप को भी जान लोगे। और अब तुम उसे जानते हो और तुम ने उस को देख लिया है।”[SCJ.] [PE]
8. [PS]फ़िलिप्पुस ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, बाप को हमें दिखाएँ। बस यही हमारे लिए काफ़ी है।”
9. ईसा ने जवाब दिया, [SCJ]“फ़िलिप्पुस, मैं इतनी देर से तुम्हारे साथ हूँ, क्या इस के बावजूद तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा उस ने बाप को देखा है। तो फिर तू क्यूँकर कहता है, बाप को हमें दिखाएँ?[SCJ.]
10. [SCJ]क्या तू ईमान नहीं रखता कि मैं बाप में हूँ और बाप मुझ में है? जो बातें में तुम को बताता हूँ वह मेरी नहीं बल्कि मुझ में रहने वाले बाप की तरफ़ से हैं। वही अपना काम कर रहा है।[SCJ.]
11. [SCJ]मेरी बात का यक़ीन करो कि मैं बाप में हूँ और बाप मुझ में है। या कम से कम उन कामों की बिना पर यक़ीन करो जो मैंने किए हैं।” [SCJ.] [PE]
12. [PS] [SCJ]“मैं तुम को सच बताता हूँ कि जो मुझ पर ईमान रखे वह वही करेगा जो मैं करता हूँ। न सिर्फ़ यह बल्कि वह इन से भी बड़े काम करेगा, क्यूँकि मैं बाप के पास जा रहा हूँ।[SCJ.]
13. [SCJ]और जो कुछ तुम मेरे नाम में माँगो मैं दूँगा ताकि बाप को बेटे में जलाल मिल जाए।[SCJ.]
14. [SCJ]जो कुछ तुम मेरे नाम में मुझ से चाहो वह मैं करूँगा।”[SCJ.] [PE]
15. [PS] [SCJ]“अगर तुम मुझे मुहब्बत करते हो तो मेरे हुक्मों के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारोगे।[SCJ.]
16. [SCJ]और मैं बाप से गुज़ारिश करूँगा तो वह तुम को एक और मददगार देगा जो हमेशा तक तुम्हारे साथ रहेगा[SCJ.]
17. [SCJ]यानी सच्चाई की रूह, जिसे दुनियाँ पा नहीं सकती, क्यूँकि वह न तो उसे देखती न जानती है। लेकिन तुम उसे जानते हो, क्यूँकि वह तुम्हारे साथ रहती है और आइन्दा तुम्हारे अन्दर रहेगी।”[SCJ.] [PE]
18. [PS] [SCJ]“मैं तुम को यतीम छोड़ कर नहीं जाऊँगा बल्कि तुम्हारे पास वापस आऊँगा।[SCJ.]
19. [SCJ]थोड़ी देर के बाद दुनियाँ मुझे नहीं देखेगी, लेकिन तुम मुझे देखते रहोगे। चूँकि मैं ज़िन्दा हूँ इस लिए तुम भी ज़िन्दा रहोगे।[SCJ.]
20. [SCJ]जब वह दिन आएगा तो तुम जान लोगे कि मैं अपने बाप में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुम में।[SCJ.]
21. [SCJ]जिस के पास मेरे हुक्म हैं और जो उन के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारता है, वही मुझे प्यार करता है। और जो मुझे प्यार करता है उसे मेरा बाप प्यार करेगा। मैं भी उसे प्यार करूँगा और अपने आप को उस पर ज़ाहिर करूँगा।”[SCJ.]
22. यहूदाह (यहूदाह इस्करियोती नहीं) ने पूछा, “ख़ुदावन्द, क्या वजह है कि आप अपने आप को सिर्फ़ हम पर ज़ाहिर करेंगे और दुनियाँ पर नहीं?”
23. ईसा ने जवाब दिया, [SCJ]“अगर कोई मुझे मुहब्बत करे तो वह मेरे कलाम के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारेगा। मेरा बाप ऐसे शख़्स को मुहब्बत करेगा और हम उस के पास आ कर उस के साथ रहा करेंगे।[SCJ.]
24. [SCJ]जो मुझ से मुहब्बत नहीं करता, वह मेरे कलाम के मुताबिक़ ज़िन्दगी नहीं गुज़ारता। और जो कलाम तुम मुझ से सुनते हो, वह मेरा अपना कलाम नहीं है बल्कि बाप का है जिस ने मुझे भेजा है।”[SCJ.] [PE]
25. [PS] [SCJ]“यह सब कुछ मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम को बताया है।[SCJ.]
26. [SCJ]लेकिन बाद में रूह — ए पाक, जिसे बाप मेरे नाम से भेजेगा, तुम को सब कुछ सिखाएगा। यह मददगार तुम को हर बात की याद दिलाएगा जो मैं ने तुम को बताई है।”[SCJ.] [PE]
27. [PS] [SCJ]“मैं तुम्हारे पास सलामती छोड़े जाता हूँ, अपनी ही सलामती तुम को दे देता हूँ। और मैं इसे यूँ नहीं देता जिस तरह दुनियाँ देती है। तुम्हारा दिल न घबराए और न डरे।[SCJ.]
28. [SCJ]तुम ने मुझ से सुन लिया है कि मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे पास वापस आऊँगा। अगर तुम मुझ से मुहब्बत रखते तो तुम इस बात पर ख़ुश होते कि मैं बाप के पास जा रहा हूँ, क्यूँकि बाप मुझ से बड़ा है।[SCJ.]
29. [SCJ]मैं ने तुम को पहले से बता दिया है, कि यह हो, ताकि जब पेश आए तो तुम ईमान लाओ।[SCJ.]
30. [SCJ]अब से मैं तुम से ज़्यादा बातें नहीं करूँगा, क्यूँकि इस दुनियाँ का बादशाह आ रहा है। उसे मुझ पर कोई क़ाबू नहीं है,[SCJ.]
31. [SCJ]लेकिन दुनियाँ यह जान ले कि मैं बाप को प्यार करता हूँ और वही कुछ करता हूँ जिस का हुक्म वह मुझे देता है।”[SCJ.] [PE]
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1 {येसु, बाप तक जाने का रस्ता } “तुम्हारा दिल न घबराए। तुम ख़ुदा पर ईमान रखते हो, मुझ पर भी ईमान रखो। 2 मेरे आसमानी बाप के घर में बेशुमार मकान हैं। अगर ऐसा न होता तो क्या मैं तुम को बताता कि मैं तुम्हारे लिए जगह तय्यार करने के लिए वहाँ जा रहा हूँ? 3 और अगर मैं जा कर तुम्हारे लिए जगह तय्यार करूँ तो वापस आ कर तुम को अपने साथ ले जाऊँगा ताकि जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम भी हो।” 4 “और जहाँ मैं जा रहा हूँ उस की राह तुम जानते हो।” 5 तोमा बोल उठा, “ख़ुदावन्द, हमें मालूम नहीं कि आप कहाँ जा रहे हैं। तो फिर हम उस की राह किस तरह जानें?” 6 ईसा ने जवाब दिया, “राह हक़ और ज़िन्दगी मैं हूँ। कोई मेरे वसीले के बग़ैर बाप के पास नहीं आ सकता। 7 अगर तुम ने मुझे जान लिया है तो इस का मतलब है कि तुम मेरे बाप को भी जान लोगे। और अब तुम उसे जानते हो और तुम ने उस को देख लिया है।” 8 फ़िलिप्पुस ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, बाप को हमें दिखाएँ। बस यही हमारे लिए काफ़ी है।” 9 ईसा ने जवाब दिया, “फ़िलिप्पुस, मैं इतनी देर से तुम्हारे साथ हूँ, क्या इस के बावजूद तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा उस ने बाप को देखा है। तो फिर तू क्यूँकर कहता है, बाप को हमें दिखाएँ? 10 क्या तू ईमान नहीं रखता कि मैं बाप में हूँ और बाप मुझ में है? जो बातें में तुम को बताता हूँ वह मेरी नहीं बल्कि मुझ में रहने वाले बाप की तरफ़ से हैं। वही अपना काम कर रहा है। 11 मेरी बात का यक़ीन करो कि मैं बाप में हूँ और बाप मुझ में है। या कम से कम उन कामों की बिना पर यक़ीन करो जो मैंने किए हैं।” 12 “मैं तुम को सच बताता हूँ कि जो मुझ पर ईमान रखे वह वही करेगा जो मैं करता हूँ। न सिर्फ़ यह बल्कि वह इन से भी बड़े काम करेगा, क्यूँकि मैं बाप के पास जा रहा हूँ। 13 और जो कुछ तुम मेरे नाम में माँगो मैं दूँगा ताकि बाप को बेटे में जलाल मिल जाए। 14 जो कुछ तुम मेरे नाम में मुझ से चाहो वह मैं करूँगा।” 15 “अगर तुम मुझे मुहब्बत करते हो तो मेरे हुक्मों के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारोगे। 16 और मैं बाप से गुज़ारिश करूँगा तो वह तुम को एक और मददगार देगा जो हमेशा तक तुम्हारे साथ रहेगा 17 यानी सच्चाई की रूह, जिसे दुनियाँ पा नहीं सकती, क्यूँकि वह न तो उसे देखती न जानती है। लेकिन तुम उसे जानते हो, क्यूँकि वह तुम्हारे साथ रहती है और आइन्दा तुम्हारे अन्दर रहेगी।” 18 “मैं तुम को यतीम छोड़ कर नहीं जाऊँगा बल्कि तुम्हारे पास वापस आऊँगा। 19 थोड़ी देर के बाद दुनियाँ मुझे नहीं देखेगी, लेकिन तुम मुझे देखते रहोगे। चूँकि मैं ज़िन्दा हूँ इस लिए तुम भी ज़िन्दा रहोगे। 20 जब वह दिन आएगा तो तुम जान लोगे कि मैं अपने बाप में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुम में। 21 जिस के पास मेरे हुक्म हैं और जो उन के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारता है, वही मुझे प्यार करता है। और जो मुझे प्यार करता है उसे मेरा बाप प्यार करेगा। मैं भी उसे प्यार करूँगा और अपने आप को उस पर ज़ाहिर करूँगा।” 22 यहूदाह (यहूदाह इस्करियोती नहीं) ने पूछा, “ख़ुदावन्द, क्या वजह है कि आप अपने आप को सिर्फ़ हम पर ज़ाहिर करेंगे और दुनियाँ पर नहीं?” 23 ईसा ने जवाब दिया, “अगर कोई मुझे मुहब्बत करे तो वह मेरे कलाम के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारेगा। मेरा बाप ऐसे शख़्स को मुहब्बत करेगा और हम उस के पास आ कर उस के साथ रहा करेंगे। 24 जो मुझ से मुहब्बत नहीं करता, वह मेरे कलाम के मुताबिक़ ज़िन्दगी नहीं गुज़ारता। और जो कलाम तुम मुझ से सुनते हो, वह मेरा अपना कलाम नहीं है बल्कि बाप का है जिस ने मुझे भेजा है।” 25 “यह सब कुछ मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम को बताया है। 26 लेकिन बाद में रूह — ए पाक, जिसे बाप मेरे नाम से भेजेगा, तुम को सब कुछ सिखाएगा। यह मददगार तुम को हर बात की याद दिलाएगा जो मैं ने तुम को बताई है।” 27 “मैं तुम्हारे पास सलामती छोड़े जाता हूँ, अपनी ही सलामती तुम को दे देता हूँ। और मैं इसे यूँ नहीं देता जिस तरह दुनियाँ देती है। तुम्हारा दिल न घबराए और न डरे। 28 तुम ने मुझ से सुन लिया है कि मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे पास वापस आऊँगा। अगर तुम मुझ से मुहब्बत रखते तो तुम इस बात पर ख़ुश होते कि मैं बाप के पास जा रहा हूँ, क्यूँकि बाप मुझ से बड़ा है। 29 मैं ने तुम को पहले से बता दिया है, कि यह हो, ताकि जब पेश आए तो तुम ईमान लाओ। 30 अब से मैं तुम से ज़्यादा बातें नहीं करूँगा, क्यूँकि इस दुनियाँ का बादशाह आ रहा है। उसे मुझ पर कोई क़ाबू नहीं है, 31 लेकिन दुनियाँ यह जान ले कि मैं बाप को प्यार करता हूँ और वही कुछ करता हूँ जिस का हुक्म वह मुझे देता है।”
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