انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. [PS]ख़ुदावन्द यूँ फरमाता है कि आसमान मेरा तख़्त है और ज़मीन मेरे पाँव की चौकी; तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे, और कौन सी जगह मेरी आरामगाह होगी?
2. क्यूँकि ये सब चीजें तो मेरे हाथ ने बनाई और यूँ मौजूद हुई, ख़ुदावन्द फ़रमाता है। लेकिन मैं उस शख़्स पर निगाह करूँगा, उसी पर जो ग़रीब और शिकश्ता दिल है और मेरे कलाम से कॉप जाता है।
3. “जो बैल ज़बह करता है, उसकी तरह है जो किसी आदमी को मार डालता है; और जो बर्रे की क़ुर्बानी करता है, उसके बराबर है जो कुत्ते की गर्दन काटता है; जो हदिया लाता है, जैसे सूअर का ख़ून पेश करता है; जो लुबान जलाता है, उसकी तरह है जो बुत को मुबारक कहता है। हाँ, उन्होंने अपनी अपनी राहें चुन लीं और उनके दिल उनकी नफ़रती चीज़ों से मसरूर हैं।
4. मैं भी उनके लिए आफ़तों को चुन लूँगा और जिन बातों से वह डरते हैं उन पर लाऊँगा क्यूँकि जब मैंने कलाम किया तो उनहोंने न सुना; बल्कि उन्होंने वही किया जो मेरी नज़र में बुरा था, और वह चीज़ पसन्द की जिससे मैं ख़ुश न था।”
5. ख़ुदावन्द की बात सुनो, ऐ तुम जो उसके कलाम से काँपते हो; तुम्हारे भाई जो तुम से कीना रखते हैं, और मेरे नाम की ख़ातिर तुम को ख़ारिज कर देते हैं, कहते हैं, 'ख़ुदावन्द की तम्जीद करो, ताकि हम तुम्हारी ख़ुशी को देखें'; लेकिन वही शर्मिन्दा होंगे।
6. “शहर से भीड़ का शोर! हैकल की तरफ़ से एक आवाज़! ख़ुदावन्द की आवाज़ है, जो अपने दुश्मनों को बदला देता है!
7. पहले इससे कि उसे दर्द लगे, उसने जन्म दिया; और इससे पहले कि उसको दर्द हो, उससे बेटा पैदा हुआ।
8. ऐसी बात किसने सुनी? ऐसी चीजें किसने देखीं? क्या एक दिन में कोई मुल्क पैदा हो सकता है? क्या एक ही साथ एक क़ौम पैदा हो जाएगी? क्यूँकि सिय्यून को दर्द लगे ही थे कि उसकी औलाद पैदा हो गई।”
9. ख़ुदावन्द फ़रमाता है, क्या मैं उसे विलादत के वक़्त तक लाऊँ और फिर उससे विलादत न कराऊँ? तेरा ख़ुदा फ़रमाता है, क्या मैं जो विलादत तक लाता हूँ, विलादत से बा'ज़ रख्खूँ?
10. “तुम येरूशलेम के साथ ख़ुशी मनाओ और उसकी वजह से ख़ुश हो, उसके सब दोस्तो; जो उसके लिए मातम करते थे, उसके साथ बहुत ख़ुश हो;
11. ताकि तुम दूध पियो और उसकी तसल्ली के पिस्तानों से सेर हो; ताकि तुम निचोड़ो और उसकी शौकत की इफ़रात से फ़ायदा उठाओ।”
12. क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि देख, मैं सलामती नहर की तरह, और क़ौमों की दौलत सैलाब की तरह उसके पास रवाँ करूँगा; तब तुम दूध पियोगे, और बग़ल में उठाए जाओगे और घुटनों पर कुदाए जाओगे।
13. जिस तरह माँ अपने बेटे को दिलासा देती है, उसी तरह मैं तुम को दिलासा दूँगा; येरूशलेम ही में तुम तसल्ली पाओगे।
14. और तुम देखोगे और तुम्हारा दिल ख़ुश होगा, और तुम्हारी हड्डियाँ सब्ज़ा की तरह नशोंनुमा पाएँगी, और ख़ुदावन्द का हाथ अपने बन्दों पर ज़ाहिर होगा, लेकिन उसका क़हर उसके दुश्मनों पर भड़केगा।
15. क्यूँकि देखो, ख़ुदावन्द आग के साथ आएगा, और उसके रथ उड़ती धूल की तरह होंगे, ताकि अपने क़हर को जोश के साथ और अपनी तम्बीह को आग के शो'ले में ज़ाहिर करे।
16. क्यूँकि आग से और अपनी तलवार से ख़ुदावन्द तमाम बनी आदम का मुक़ाबिला करेगा; और ख़ुदावन्द के मक़तूल बहुत से होंगे।
17. वह जो बाग़ों की वस्त में किसी के पीछे खड़े होने के लिए अपने आपको पाक — ओ — साफ़ करते हैं, जो सूअर का गोश्त और मकरूह चीजें और चूहे खाते हैं; ख़ुदावन्द फ़रमाता है, वह एक साथ फ़ना हो जाएँगे।
18. और मैं उनके काम और उनके मन्सूबे जानता हूँ। वह वक़्त आता है कि मैं तमाम क़ौमों और अहल — ए — लुग़त को जमा' करूँगा और वह आयेंगे और मेरा जलाल देखेंगे,
19. तब मैं उनके बीच एक निशान खड़ा करूँगा; और मैं उनको जो उनमें से बच निकलें, क़ौमों की तरफ़ भेजूँगा, या'नी तरसीस और पूल और लूद को जो तीरअन्दाज़ हैं, और तूबल और यावान को, और दूर के जज़ीरों को जिन्होंने मेरी शोहरत नहीं सुनी और मेरा जलाल नहीं देखा; और वह क़ौमों के बीच मेरा जलाल बयान करेंगे।
20. और ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि वह तुम्हारे सब भाइयों को तमाम क़ौमों में से घोड़ों और रथों पर, और पालकियों में और खच्चरों पर, और साँडनियों पर बिठा कर ख़ुदावन्द के हदिये के लिए येरूशलेम में मेरे पाक पहाड़ को लाएँगे, जिस तरह से बनी — इस्राईल ख़ुदावन्द के घर में पाक बर्तनों में हदिया लाते हैं।
21. और ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि मैं उनमें से भी काहिन और लावी होने के लिए लूँगा।
22. “ख़ुदावन्द फ़रमाता है, जिस तरह नया आसमान और नई ज़मीन जो मैं बनाऊँगा, मेरे सामने क़ाईम रहेंगे उसी तरह तुम्हारी नसल और तुम्हारा नाम बाक़ी रहेगा।
23. और यूँ होगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि एक नये चाँद से दूसरे तक, और एक सबत से दूसरे तक हर फ़र्द — ए — बशर इबादत के लिए मेरे सामने आएगा।
24. 'और वह निकल निकल कर उन लोगों की लाशों पर जो मुझ से बाग़ी हुए नज़र करेंगे; क्यूँकि उनका कीड़ा न मरेगा और उनकी आग न बुझेगी, और वह तमाम बनी आदम के लिए नफ़रती होंगे।”[PE]
Total 66 ابواب, Selected باب 66 / 66
1 ख़ुदावन्द यूँ फरमाता है कि आसमान मेरा तख़्त है और ज़मीन मेरे पाँव की चौकी; तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे, और कौन सी जगह मेरी आरामगाह होगी? 2 क्यूँकि ये सब चीजें तो मेरे हाथ ने बनाई और यूँ मौजूद हुई, ख़ुदावन्द फ़रमाता है। लेकिन मैं उस शख़्स पर निगाह करूँगा, उसी पर जो ग़रीब और शिकश्ता दिल है और मेरे कलाम से कॉप जाता है। 3 “जो बैल ज़बह करता है, उसकी तरह है जो किसी आदमी को मार डालता है; और जो बर्रे की क़ुर्बानी करता है, उसके बराबर है जो कुत्ते की गर्दन काटता है; जो हदिया लाता है, जैसे सूअर का ख़ून पेश करता है; जो लुबान जलाता है, उसकी तरह है जो बुत को मुबारक कहता है। हाँ, उन्होंने अपनी अपनी राहें चुन लीं और उनके दिल उनकी नफ़रती चीज़ों से मसरूर हैं। 4 मैं भी उनके लिए आफ़तों को चुन लूँगा और जिन बातों से वह डरते हैं उन पर लाऊँगा क्यूँकि जब मैंने कलाम किया तो उनहोंने न सुना; बल्कि उन्होंने वही किया जो मेरी नज़र में बुरा था, और वह चीज़ पसन्द की जिससे मैं ख़ुश न था।” 5 ख़ुदावन्द की बात सुनो, ऐ तुम जो उसके कलाम से काँपते हो; तुम्हारे भाई जो तुम से कीना रखते हैं, और मेरे नाम की ख़ातिर तुम को ख़ारिज कर देते हैं, कहते हैं, 'ख़ुदावन्द की तम्जीद करो, ताकि हम तुम्हारी ख़ुशी को देखें'; लेकिन वही शर्मिन्दा होंगे। 6 “शहर से भीड़ का शोर! हैकल की तरफ़ से एक आवाज़! ख़ुदावन्द की आवाज़ है, जो अपने दुश्मनों को बदला देता है! 7 पहले इससे कि उसे दर्द लगे, उसने जन्म दिया; और इससे पहले कि उसको दर्द हो, उससे बेटा पैदा हुआ। 8 ऐसी बात किसने सुनी? ऐसी चीजें किसने देखीं? क्या एक दिन में कोई मुल्क पैदा हो सकता है? क्या एक ही साथ एक क़ौम पैदा हो जाएगी? क्यूँकि सिय्यून को दर्द लगे ही थे कि उसकी औलाद पैदा हो गई।” 9 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, क्या मैं उसे विलादत के वक़्त तक लाऊँ और फिर उससे विलादत न कराऊँ? तेरा ख़ुदा फ़रमाता है, क्या मैं जो विलादत तक लाता हूँ, विलादत से बा'ज़ रख्खूँ? 10 “तुम येरूशलेम के साथ ख़ुशी मनाओ और उसकी वजह से ख़ुश हो, उसके सब दोस्तो; जो उसके लिए मातम करते थे, उसके साथ बहुत ख़ुश हो; 11 ताकि तुम दूध पियो और उसकी तसल्ली के पिस्तानों से सेर हो; ताकि तुम निचोड़ो और उसकी शौकत की इफ़रात से फ़ायदा उठाओ।” 12 क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि देख, मैं सलामती नहर की तरह, और क़ौमों की दौलत सैलाब की तरह उसके पास रवाँ करूँगा; तब तुम दूध पियोगे, और बग़ल में उठाए जाओगे और घुटनों पर कुदाए जाओगे। 13 जिस तरह माँ अपने बेटे को दिलासा देती है, उसी तरह मैं तुम को दिलासा दूँगा; येरूशलेम ही में तुम तसल्ली पाओगे। 14 और तुम देखोगे और तुम्हारा दिल ख़ुश होगा, और तुम्हारी हड्डियाँ सब्ज़ा की तरह नशोंनुमा पाएँगी, और ख़ुदावन्द का हाथ अपने बन्दों पर ज़ाहिर होगा, लेकिन उसका क़हर उसके दुश्मनों पर भड़केगा। 15 क्यूँकि देखो, ख़ुदावन्द आग के साथ आएगा, और उसके रथ उड़ती धूल की तरह होंगे, ताकि अपने क़हर को जोश के साथ और अपनी तम्बीह को आग के शो'ले में ज़ाहिर करे। 16 क्यूँकि आग से और अपनी तलवार से ख़ुदावन्द तमाम बनी आदम का मुक़ाबिला करेगा; और ख़ुदावन्द के मक़तूल बहुत से होंगे। 17 वह जो बाग़ों की वस्त में किसी के पीछे खड़े होने के लिए अपने आपको पाक — ओ — साफ़ करते हैं, जो सूअर का गोश्त और मकरूह चीजें और चूहे खाते हैं; ख़ुदावन्द फ़रमाता है, वह एक साथ फ़ना हो जाएँगे। 18 और मैं उनके काम और उनके मन्सूबे जानता हूँ। वह वक़्त आता है कि मैं तमाम क़ौमों और अहल — ए — लुग़त को जमा' करूँगा और वह आयेंगे और मेरा जलाल देखेंगे, 19 तब मैं उनके बीच एक निशान खड़ा करूँगा; और मैं उनको जो उनमें से बच निकलें, क़ौमों की तरफ़ भेजूँगा, या'नी तरसीस और पूल और लूद को जो तीरअन्दाज़ हैं, और तूबल और यावान को, और दूर के जज़ीरों को जिन्होंने मेरी शोहरत नहीं सुनी और मेरा जलाल नहीं देखा; और वह क़ौमों के बीच मेरा जलाल बयान करेंगे। 20 और ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि वह तुम्हारे सब भाइयों को तमाम क़ौमों में से घोड़ों और रथों पर, और पालकियों में और खच्चरों पर, और साँडनियों पर बिठा कर ख़ुदावन्द के हदिये के लिए येरूशलेम में मेरे पाक पहाड़ को लाएँगे, जिस तरह से बनी — इस्राईल ख़ुदावन्द के घर में पाक बर्तनों में हदिया लाते हैं। 21 और ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि मैं उनमें से भी काहिन और लावी होने के लिए लूँगा। 22 “ख़ुदावन्द फ़रमाता है, जिस तरह नया आसमान और नई ज़मीन जो मैं बनाऊँगा, मेरे सामने क़ाईम रहेंगे उसी तरह तुम्हारी नसल और तुम्हारा नाम बाक़ी रहेगा। 23 और यूँ होगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि एक नये चाँद से दूसरे तक, और एक सबत से दूसरे तक हर फ़र्द — ए — बशर इबादत के लिए मेरे सामने आएगा। 24 'और वह निकल निकल कर उन लोगों की लाशों पर जो मुझ से बाग़ी हुए नज़र करेंगे; क्यूँकि उनका कीड़ा न मरेगा और उनकी आग न बुझेगी, और वह तमाम बनी आदम के लिए नफ़रती होंगे।”
Total 66 ابواب, Selected باب 66 / 66
×

Alert

×

Urdu Letters Keypad References