انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ
1. {यरुशलेम की नजात } [PS]जाग जाग ऐ सिय्यून, अपनी शौकत से मुलब्बस हो; ऐ येरूशलेम पाक शहर, अपना ख़ुशनुमा लिबास पहन ले; क्यूँकि आगे को कोई नामख़्तून या नापाक तुझ में कभी दाख़िल न होगा।
2. अपने ऊपर से गर्द झाड़ दे, उठकर बैठ; ऐ येरूशलेम, ऐ ग़ुलाम दुख़्तर — ए — सिय्यून, अपनी गर्दन के बंधनों को खोल डाल।
3. क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, तुम मुफ़्त बेचे गए, और तुम बेज़र ही आज़ाद किए जाओगे।
4. ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, कि “मेरे लोग इब्तिदा में मिस्र को गए कि वहाँ मुसाफ़िर होकर रहें, असूरियों ने भी बे वजह उन पर ज़ुल्म किया।”
5. ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि “अब मेरा यहाँ क्या काम, हालाँकि मेरे लोग मुफ़्त ग़ुलामी में गए हैं? वह जो उन पर मुसल्लत हैं लल्कारतें हैं ख़ुदावन्द फ़रमाता हैं और हर रोज़ मुतवातिर मेरे नाम की तकफ़ीर की जाती है।
6. यक़ीनन मेरे लोग मेरा नाम जानेंगे, और उस रोज़ समझेंगे कि कहनेवाला मैं ही हूँ, देखो, मैं हाज़िर हूँ।”
7. उसके पाँव पहाड़ों पर क्या ही ख़ुशनुमा हैं जो ख़ुशख़बरी लाता है और सलामती का 'ऐलान करता है और खैरियत की ख़बर और नजात का इश्तिहार देता है जो सिय्यून से कहता है तेरा ख़ुदा सल्तनत करता है।
8. अपने निगहबानों की आवाज़ सुन, वह अपनी आवाज़ बलन्द करते हैं, वह आवाज़ मिलाकर गाते हैं; क्यूँकि जब ख़ुदावन्द सिय्यून को वापस आएगा तो वह उसे रू — ब — रू देखेंगे।
9. ऐ येरूशलेम के वीरानो, ख़ुशी से ललकारो, मिलकर नग़मा सराई करो, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने अपनी क़ौम को दिलासा दिया उसने येरूशलेम का फ़िदिया दिया।
10. ख़ुदावन्द ने अपना पाक बाज़ू तमाम क़ौमों की आँखों के सामने नंगा किया है और ज़मीन सरासर हमारे ख़ुदा की नजात को देखेगी।
11. ऐ ख़ुदावन्द के ज़ुरूफ़ उठाने वालो, रवाना हो, रवाना हो; वहाँ से चले जाओ, नापाक चीज़ों को हाथ न लगाओ, उसके बीच से निकल जाओ और पाक हो।
12. क्यूँकि तुम न तो जल्द निकल जाओगे, और न भागनेवाले की तरह चलोगे; क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारा हरावल, और इस्राईल का खुदा तुम्हारा चन्डावल होगा।
13. देखो, मेरा ख़ादिम इक़बालमन्द होगा, वह आला — ओ — बरतर और निहायत बलन्द होगा।
14. जिस तरह बहुतेरे तुझ को देखकर दंग हो गए उसका चहरा हर एक बशर से ज़ाइद, और उसका जिस्म बनी आदम से ज़्यादा बिगड़ गया था,
15. उसी तरह वह बहुत सी क़ौमों को पाक करेगा और बादशाह उसके सामने ख़ामोश होंगे; क्यूँकि जो कुछ उनसे कहा न गया था, वह देखेंगे; और जो कुछ उन्होंने सुना न था, वह समझेंगे। [PE]
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1 {यरुशलेम की नजात } जाग जाग ऐ सिय्यून, अपनी शौकत से मुलब्बस हो; ऐ येरूशलेम पाक शहर, अपना ख़ुशनुमा लिबास पहन ले; क्यूँकि आगे को कोई नामख़्तून या नापाक तुझ में कभी दाख़िल न होगा। 2 अपने ऊपर से गर्द झाड़ दे, उठकर बैठ; ऐ येरूशलेम, ऐ ग़ुलाम दुख़्तर — ए — सिय्यून, अपनी गर्दन के बंधनों को खोल डाल। 3 क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, तुम मुफ़्त बेचे गए, और तुम बेज़र ही आज़ाद किए जाओगे। 4 ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, कि “मेरे लोग इब्तिदा में मिस्र को गए कि वहाँ मुसाफ़िर होकर रहें, असूरियों ने भी बे वजह उन पर ज़ुल्म किया।” 5 ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि “अब मेरा यहाँ क्या काम, हालाँकि मेरे लोग मुफ़्त ग़ुलामी में गए हैं? वह जो उन पर मुसल्लत हैं लल्कारतें हैं ख़ुदावन्द फ़रमाता हैं और हर रोज़ मुतवातिर मेरे नाम की तकफ़ीर की जाती है। 6 यक़ीनन मेरे लोग मेरा नाम जानेंगे, और उस रोज़ समझेंगे कि कहनेवाला मैं ही हूँ, देखो, मैं हाज़िर हूँ।” 7 उसके पाँव पहाड़ों पर क्या ही ख़ुशनुमा हैं जो ख़ुशख़बरी लाता है और सलामती का 'ऐलान करता है और खैरियत की ख़बर और नजात का इश्तिहार देता है जो सिय्यून से कहता है तेरा ख़ुदा सल्तनत करता है। 8 अपने निगहबानों की आवाज़ सुन, वह अपनी आवाज़ बलन्द करते हैं, वह आवाज़ मिलाकर गाते हैं; क्यूँकि जब ख़ुदावन्द सिय्यून को वापस आएगा तो वह उसे रू — ब — रू देखेंगे। 9 ऐ येरूशलेम के वीरानो, ख़ुशी से ललकारो, मिलकर नग़मा सराई करो, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने अपनी क़ौम को दिलासा दिया उसने येरूशलेम का फ़िदिया दिया। 10 ख़ुदावन्द ने अपना पाक बाज़ू तमाम क़ौमों की आँखों के सामने नंगा किया है और ज़मीन सरासर हमारे ख़ुदा की नजात को देखेगी। 11 ऐ ख़ुदावन्द के ज़ुरूफ़ उठाने वालो, रवाना हो, रवाना हो; वहाँ से चले जाओ, नापाक चीज़ों को हाथ न लगाओ, उसके बीच से निकल जाओ और पाक हो। 12 क्यूँकि तुम न तो जल्द निकल जाओगे, और न भागनेवाले की तरह चलोगे; क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारा हरावल, और इस्राईल का खुदा तुम्हारा चन्डावल होगा। 13 देखो, मेरा ख़ादिम इक़बालमन्द होगा, वह आला — ओ — बरतर और निहायत बलन्द होगा। 14 जिस तरह बहुतेरे तुझ को देखकर दंग हो गए उसका चहरा हर एक बशर से ज़ाइद, और उसका जिस्म बनी आदम से ज़्यादा बिगड़ गया था, 15 उसी तरह वह बहुत सी क़ौमों को पाक करेगा और बादशाह उसके सामने ख़ामोश होंगे; क्यूँकि जो कुछ उनसे कहा न गया था, वह देखेंगे; और जो कुछ उन्होंने सुना न था, वह समझेंगे।
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