انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ

یسعیاہ باب 46

1 {बाबेल के झुठे ख़ुदा } बेल झुकता है नबू ख़म होता उनके बुत जानवरों और चौपायों पर लदे हैं; जो चीजें तुम उठाए फिरते थे, थके हुए चौपायों पर लदी हैं। 2 वह झुकते और एक साथ ख़म होते हैं; वह उस बोझ को बचा न सके, और वह आप ही ग़ुलामी में चले गए हैं। 3 ऐ या'क़ूब के घराने, और ऐ इस्राईल के घर के सब बाक़ी थके लोगो, जिनको बत्न ही से मैंने उठाया और जिनको रहम ही से मैंने गोद में लिया, मेरी सुनो 4 मैं तुम्हारे बुढ़ापे तक वही हूँ और सिर सफ़ेद होने तक तुम को उठाए फिरूँगा। मैंने तुम्हें बनाया और मैं ही उठाता रहूँगा, मैं ही लिए चलूँगा और रिहाई दूँगा। 5 तुम मुझे किससे तशबीह दोगे, और मुझे किसके बराबर ठहराओगे, और मुझे किसकी तरह कहोगे ताकि हम मुशाबह हों? 6 जो थैली से बाइफ़रात सोना निकालते और चाँदी को तराज़ू में तोलते हैं, वह सुनार को उजरत पर लगाते हैं और वह उससे एक बुत ख़ुदा के नाम से बनाता है; फिर वह उसके सामने झुकते, बल्कि सिज्दा करते हैं। 7 वह उसे कँधे पर उठाते हैं, वह उसे ले जाकर उसकी जगह पर खड़ा करते हैं और वह खड़ा रहता है, वह अपनी जगह से सरकता नहीं; बल्कि अगर कोई उसे पुकारे, तो वह न जवाब दे सकता है और न उसे मुसीबत से छुड़ा सकता है। 8 ऐ गुनाहगारो, इसको याद रख्खो और मर्द बनो, इस पर फिर सोचो। 9 पहली बातों को जो क़दीम से हैं, याद करो कि मैं ख़ुदा हूँ और कोई दूसरा नहीं मैं ख़ुदा हूँ और मुझ सा कोई नहीं। 10 जो इब्तिदा ही से अंजाम की ख़बर देता हूँ, और पहले दिनों से वह बातें जो अब तक वजूद में नहीं आई, बताता हूँ; और कहता हूँ, कि 'मेरी मसलहत क़ाईम रहेगी और मैं अपनी मर्ज़ी बिल्कुल पूरी करूँगा। 11 जो पूरब से उक़ाब को या'नी उस शख़्स को जो मेरे इरादे को पूरा करेगा, दूर के मुल्क से बुलाता हूँ, मैंने ही कहा और मैं ही इसको वजूद में लाऊँगा; मैंने इसका इरादा किया और मैं ही इसे पूरा करूँगा। 12 “ऐ सख़्त दिलो, जो सदाक़त से दूर हो मेरी सुनो, 13 मैं अपनी सदाक़त को नज़दीक लाता हूँ, वह दूर नहीं होगी और मेरी नजात ताख़ीर न करेगी; और मैं सिय्यून को नजात और इस्राईल को अपना जलाल बख़्शूँगा।”
1 {बाबेल के झुठे ख़ुदा } बेल झुकता है नबू ख़म होता उनके बुत जानवरों और चौपायों पर लदे हैं; जो चीजें तुम उठाए फिरते थे, थके हुए चौपायों पर लदी हैं। .::. 2 वह झुकते और एक साथ ख़म होते हैं; वह उस बोझ को बचा न सके, और वह आप ही ग़ुलामी में चले गए हैं। .::. 3 ऐ या'क़ूब के घराने, और ऐ इस्राईल के घर के सब बाक़ी थके लोगो, जिनको बत्न ही से मैंने उठाया और जिनको रहम ही से मैंने गोद में लिया, मेरी सुनो .::. 4 मैं तुम्हारे बुढ़ापे तक वही हूँ और सिर सफ़ेद होने तक तुम को उठाए फिरूँगा। मैंने तुम्हें बनाया और मैं ही उठाता रहूँगा, मैं ही लिए चलूँगा और रिहाई दूँगा। .::. 5 तुम मुझे किससे तशबीह दोगे, और मुझे किसके बराबर ठहराओगे, और मुझे किसकी तरह कहोगे ताकि हम मुशाबह हों? .::. 6 जो थैली से बाइफ़रात सोना निकालते और चाँदी को तराज़ू में तोलते हैं, वह सुनार को उजरत पर लगाते हैं और वह उससे एक बुत ख़ुदा के नाम से बनाता है; फिर वह उसके सामने झुकते, बल्कि सिज्दा करते हैं। .::. 7 वह उसे कँधे पर उठाते हैं, वह उसे ले जाकर उसकी जगह पर खड़ा करते हैं और वह खड़ा रहता है, वह अपनी जगह से सरकता नहीं; बल्कि अगर कोई उसे पुकारे, तो वह न जवाब दे सकता है और न उसे मुसीबत से छुड़ा सकता है। .::. 8 ऐ गुनाहगारो, इसको याद रख्खो और मर्द बनो, इस पर फिर सोचो। .::. 9 पहली बातों को जो क़दीम से हैं, याद करो कि मैं ख़ुदा हूँ और कोई दूसरा नहीं मैं ख़ुदा हूँ और मुझ सा कोई नहीं। .::. 10 जो इब्तिदा ही से अंजाम की ख़बर देता हूँ, और पहले दिनों से वह बातें जो अब तक वजूद में नहीं आई, बताता हूँ; और कहता हूँ, कि 'मेरी मसलहत क़ाईम रहेगी और मैं अपनी मर्ज़ी बिल्कुल पूरी करूँगा। .::. 11 जो पूरब से उक़ाब को या'नी उस शख़्स को जो मेरे इरादे को पूरा करेगा, दूर के मुल्क से बुलाता हूँ, मैंने ही कहा और मैं ही इसको वजूद में लाऊँगा; मैंने इसका इरादा किया और मैं ही इसे पूरा करूँगा। .::. 12 “ऐ सख़्त दिलो, जो सदाक़त से दूर हो मेरी सुनो, .::. 13 मैं अपनी सदाक़त को नज़दीक लाता हूँ, वह दूर नहीं होगी और मेरी नजात ताख़ीर न करेगी; और मैं सिय्यून को नजात और इस्राईल को अपना जलाल बख़्शूँगा।”
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