انجیل مقدس

خدا کا فضل تحفہ

سلاطین ۲ باب 23

1 {हुसी'अ का मज़हवी बदलाव } और बादशाह ने लोग भेजे, और उन्होंने यहूदाह और येरूशलेम के सब बुज़ुर्गों को उसके पास जमा' किया। 2 और बादशाह ख़ुदावन्द के घर को गया, और उसके साथ यहूदाह के सब लोग, और येरूशलेम के सब बाशिन्दे, और काहिन, और नबी, और सब छोटे बड़े आदमी थे, और उसने जो 'अहद की किताब ख़ुदावन्द के घर में मिली थी, उसकी सब बातें उनको पढ़ सुनाई। 3 और बादशाह सुतून के बराबर खड़ा हुआ, और उसने ख़ुदावन्द की पैरवी करने और उसके हुक्मों और शहादतों और तौर तरीक़े को अपने सारे दिल और सारी जान से मानने, और इस 'अहद की बातों पर जो उस किताब में लिखी हैं 'अमल करने के लिए ख़ुदावन्द के सामने 'अहद बाँधा, और सब लोग उस 'अहद पर क़ायम हुए। 4 फिर बादशाह ने सरदार काहिन ख़िलक़ियाह को, और उन काहिनों को जो दूसरे दर्जे के थे, और दरबानों को हुक्म किया कि उन सब बर्तनों को जो बा'ल और यसीरत और आसमान की सारी फ़ौज के लिए बनाए गए थे, ख़ुदावन्द की हैकल से बाहर निकालें, और उसने येरूशलेम के बाहर क़िद्रोन के खेतों में उनको जला दिया और उनकी राख बैतएल पहुँचाई। 5 और उसने उन बुत परस्त काहिनों को, जिनको शाहान — ए — यहूदाह ने यहूदाह के शहरों के ऊँचे मक़ामों और येरूशलेम के आस — पास के मक़ामों में ख़ुशबू जलाने को मुक़र्रर किया था, और उनको भी जो बा'ल और चाँद और सूरज और सय्यारे और आसमान के सारे लश्कर के लिए ख़ुशबू जलाते थे, मौक़ूफ़ किया। 6 और वह यसीरत को ख़ुदावन्द के घर से येरूशलेम के बाहर क़िद्रोन के नाले पर ले गया, और उसे क़िद्रोन के नाले पर जला दिया और उसे कूट कूटकर ख़ाक बना दिया और उसे 'आम लोगों की क़ब्रों पर फेंक दिया। 7 उसने लूतियों के मकानों को जो ख़ुदावन्द के घर में थे, जिनमें 'औरतें यसीरत के लिए पर्दे बुना करती थीं, ढा दिया। 8 और उसने यहूदाह के शहरों से सब काहिनों को लाकर, जिबा' से बैरसबा' तक उन सब ऊँचे मक़ामों में जहाँ काहिनों ने ख़ुशबू जलाया था, नजासत डलवाई; और उसने फाटकों के उन ऊँचे मक़ामों को जो शहर के नाज़िम यशू'आ के फाटक के मदखल, या'नी शहर के फाटक के बाएँ हाथ को थे, गिरा दिया। 9 तोभी ऊँचे मक़ामों के काहिन येरूशलेम में ख़ुदावन्द के मज़बह के पास न आए, लेकिन वह अपने भाइयों के साथ बेख़मीरी रोटी खा लेते थे। 10 और उसने तूफ़त में जो बनी — हिन्नूम की वादी में है, नजासत फिंकवाई ताकि कोई शख़्स मोलक के लिए अपने बेटे या बेटी को आग में न जला सके। 11 और उसने उन घोड़ों को दूर कर दिया जिनको यहूदाह के बादशाहों ने सूरज के लिए मख़्सूस करके ख़ुदावन्द के घर के आसताने पर, नातन मलिक ख़्वाजासरा की कोठरी के बराबर रख्खा था जो हैकल की हद के अन्दर थी, और सूरज के रथों को आग से जला दिया। 12 और उन मज़बहों को जो आख़ज़ के बालाख़ाने की छत पर थे, जिनको शाहान — ए — यहूदाह ने बनाया था और उन मज़बहों को जिनको मनस्सी ने ख़ुदावन्द के घर के दोनों सहनों में बनाया था, बादशाह ने ढा दिया और वहाँ से उनको चूर — चूर करके उनकी ख़ाक को क़िद्रोन के नाले में फिकवा दिया। 13 और बादशाह ने उन ऊँचे मक़ामों पर नजासत डलवाई जो येरूशलेम के मुक़ाबिल कोह — ए — आलायश की दहनी तरफ़ थे, जिनको इस्राईल के बादशाह सुलेमान ने सैदानियों की नफ़रती 'अस्तारात और मोआबियों, के नफ़रती कमूस और बनी 'अम्मोंन के नफरती मिल्कोम के लिए बनाया था। 14 और उसने सुतूनों को टुकड़े — टुकड़े कर दिया और यसीरतों को काट डाला, और उनकी जगह में मुर्दों की हड्डियाँ भर दीं। 15 फिर बैतएल का वह मज़बह और वह ऊँचा मक़ाम जिसे नबात के बेटे युरब'आम ने बनाया था, जिसने इस्राईल से गुनाह कराया, इसलिए इस मज़बह और ऊँचे मक़ाम दोनों को उसने ढा दिया, और ऊँचे मक़ाम को जला दिया और उसे कूट — कूटकर ख़ाक कर दिया, और यसीरत को जला दिया। 16 और जब यूसियाह मुड़ा तो उसने उन क़ब्रों को देखा जो वहाँ उस पहाड़ पर थीं, इसलिए उसने लोग भेज कर उन क़ब्रों में से हड्डियाँ निकलवाई, और उनको उस मज़बह पर जलाकर उसे नापाक किया। ये ख़ुदावन्द के सुख़न के मुताबिक़ हुआ, जिसे उस मर्द — ए — ख़ुदा ने जिसने इन बातों की ख़बर दी थी सुनाया था। 17 फिर उसने पूछा, “ये कैसी यादगार है जिसे मैं देखता हूँ?” शहर के लोगों ने उसे बताया, “ये उस मर्द — ए — ख़ुदा की क़ब्र है, जिसने यहूदाह से आकर इन कामों की जो तू ने बैतएल के मज़बह से किए, ख़बर दी।” 18 तब उसने कहा, “उसे रहने दो, कोई उसकी हड्डियों को न सरकाए।” इसलिए उन्होंने उसकी हडिडयाँ उस नबी की हड्डियों के साथ जो सामरिया से आया था रहने दीं। 19 और यूसियाह ने उन ऊँचे मक़ामों के सब घरों को भी जो सामरिया के शहरों में थे, जिनको इस्राईल के बादशाहों ने ख़ुदावन्द को ग़ुस्सा दिलाने को बनाया था ढाया, और जैसा उसने बैतएल में किया था वैसा ही उनसे भी किया। 20 और उसने ऊँचे मक़ामों के सब काहिनों को जो वहाँ थे, उन मज़बहों पर क़त्ल किया और आदमियों की हड्डियाँ उन पर जलाई; फिर वह येरूशलेम को लौट आया। 21 और बादशाह ने सब लोगों को ये हुक्म दिया, कि “ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए फ़सह मनाओ, जैसा 'अहद की इस किताब में लिखा है।” 22 और यक़ीनन क़ाजियों के ज़माने से जो इस्राईल की 'अदालत करते थे, और इस्राईल के बादशाहों और यहूदाह के बादशाहों के कुल दिनों में ऐसी 'ईद — ए — फ़सह कभी नहीं हुई थी। 23 यूसियाह बादशाह के अठारहवें बरस ये फ़सह येरूशलेम में ख़ुदावन्द के लिए मनाई गई। 24 इसके सिवा यूसियाह ने जिन्नात के यारों और जादूगरों और मूरतों और बुतों, और सब नफ़रती चीज़ों को जो मुल्क — ए — यहूदाह और येरूशलेम में नज़र आई दूर कर दिया, ताकि वह शरी'अत की उन बातों को पूरा करे जो उस किताब में लिखी थी, जो ख़िलक़ियाह काहिन को ख़ुदावन्द के घर में मिली थी। 25 उससे पहले कोई बादशाह उसकी तरह नहीं हुआ था, जो अपने सारे दिल और अपनी सारी जान और अपने सारे ज़ोर से मूसा की सारी शरी'अत के मुताबिक़ ख़ुदावन्द की तरफ़ रुजू' लाया हो; और न उसके बाद कोई उसकी तरह खड़ा हुआ। 26 बावजूद इसके मनस्सी की सब बदकारियों की वजह से, जिनसे उसने ख़ुदावन्द को ग़ुस्सा दिलाया था, ख़ुदावन्द अपने सख़्त — ओ — शदीद क़हर से, जिससे उसका ग़ज़ब यहूदाह पर भड़का था, बाज़ न आया। 27 और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, कि “मैं यहूदाह को भी अपनी आँखों के सामने से दूर करूँगा, जैसे मैंने इस्राईल को दूर किया; और मैं इस शहर को जिसे मैंने चुना या'नी येरूशलेम को, और इस घर को जिसके ज़रिए' मैंने कहा था की मेरा नाम वहाँ होगा रद्द कर दूँगा” 28 और यूसियाह के बाक़ी काम और सब कुछ जो उसने किया, इसलिए क्या वह यहूदाह के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में लिखे नहीं? 29 उसी के अय्याम में शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन निकोह शाह — ए — असूर पर चढ़ाई करने के लिए दरिया — ए — फ़रात को गया था; और यूसियाह बादशाह उसका सामना करने को निकला, इसलिए उसने उसे देखते ही मजिद्दो में क़त्ल कर दिया। 30 और उसके मुलाज़िम उसको एक रथ में मजिद्दो से मरा हुआ ले गए, और उसे येरूशलेम में लाकर उसी की क़ब्र में दफ़्न किया। और उस मुल्क के लोगों ने यूसियाह के बेटे यहूआख़ज़ को लेकर उसे मसह किया, और उसके बाप की जगह उसे बादशाह बनाया। 31 और यहूआख़ज़ जब सल्तनत करने लगा तो तेईस साल का था, उसने येरूशलेम में तीन महीने सल्तनत की। उसकी माँ का नाम हमूतल था, जो लिबनाही यरमियाह की बेटी थी। 32 और जो — जो उसके बाप — दादा ने किया था उसके मुताबिक़ इसने भी ख़ुदावन्द की नज़र में गुनाह किया। 33 इसलिए फ़िर'औन निकोह ने उसे रिबला में, जो मुल्क — ए — हमात में है, क़ैद कर दिया ताकि वह येरूशलेम में सल्तनत न करने पाए; और उस मुल्क पर सौ क़िन्तार चाँदी और एक क़िन्तार सोना ख़िराज मुक़र्रर किया। 34 और फ़िर'औन निकोह ने यूसियाह के बेटे इलियाक़ीम को उसके बाप यूसियाह की जगह बादशाह बनाया, और उसका नाम बदलकर यहूयक़ीम रखा, लेकिन यहूआख़ज़ को ले गया, इसलिए वह मिस्र में आकर वहाँ मर गया। 35 यहूयक़ीम ने वह चाँदी और सोना फ़िर'औन को पहुँचाया, पर इस नक़दी को फ़िर'औन के हुक्म के मुताबिक़ देने के लिए उसने ममलुकत पर ख़िराज मुक़र्रर किया; या'नी उसने उस मुल्क के लोगों से हर शख़्स के लगान के मुताबिक़ चाँदी और सोना लिया ताकि फ़िर'औन निकोह को दे। 36 यहूयक़ीम जब सल्तनत करने लगा, तो पच्चीस बरस का था, उसने येरूशलेम में ग्यारह बरस सल्तनत की। उसकी माँ का नाम ज़बूदा था, जो रूमाह के फ़िदायाह की बेटी थी। 37 और जो — जो उसके बाप — दादा ने किया था, उसी के मुताबिक़ उसने भी ख़ुदावन्द की नज़र में बुराई की।
1 {हुसी'अ का मज़हवी बदलाव } और बादशाह ने लोग भेजे, और उन्होंने यहूदाह और येरूशलेम के सब बुज़ुर्गों को उसके पास जमा' किया। .::. 2 और बादशाह ख़ुदावन्द के घर को गया, और उसके साथ यहूदाह के सब लोग, और येरूशलेम के सब बाशिन्दे, और काहिन, और नबी, और सब छोटे बड़े आदमी थे, और उसने जो 'अहद की किताब ख़ुदावन्द के घर में मिली थी, उसकी सब बातें उनको पढ़ सुनाई। .::. 3 और बादशाह सुतून के बराबर खड़ा हुआ, और उसने ख़ुदावन्द की पैरवी करने और उसके हुक्मों और शहादतों और तौर तरीक़े को अपने सारे दिल और सारी जान से मानने, और इस 'अहद की बातों पर जो उस किताब में लिखी हैं 'अमल करने के लिए ख़ुदावन्द के सामने 'अहद बाँधा, और सब लोग उस 'अहद पर क़ायम हुए। .::. 4 फिर बादशाह ने सरदार काहिन ख़िलक़ियाह को, और उन काहिनों को जो दूसरे दर्जे के थे, और दरबानों को हुक्म किया कि उन सब बर्तनों को जो बा'ल और यसीरत और आसमान की सारी फ़ौज के लिए बनाए गए थे, ख़ुदावन्द की हैकल से बाहर निकालें, और उसने येरूशलेम के बाहर क़िद्रोन के खेतों में उनको जला दिया और उनकी राख बैतएल पहुँचाई। .::. 5 और उसने उन बुत परस्त काहिनों को, जिनको शाहान — ए — यहूदाह ने यहूदाह के शहरों के ऊँचे मक़ामों और येरूशलेम के आस — पास के मक़ामों में ख़ुशबू जलाने को मुक़र्रर किया था, और उनको भी जो बा'ल और चाँद और सूरज और सय्यारे और आसमान के सारे लश्कर के लिए ख़ुशबू जलाते थे, मौक़ूफ़ किया। .::. 6 और वह यसीरत को ख़ुदावन्द के घर से येरूशलेम के बाहर क़िद्रोन के नाले पर ले गया, और उसे क़िद्रोन के नाले पर जला दिया और उसे कूट कूटकर ख़ाक बना दिया और उसे 'आम लोगों की क़ब्रों पर फेंक दिया। .::. 7 उसने लूतियों के मकानों को जो ख़ुदावन्द के घर में थे, जिनमें 'औरतें यसीरत के लिए पर्दे बुना करती थीं, ढा दिया। .::. 8 और उसने यहूदाह के शहरों से सब काहिनों को लाकर, जिबा' से बैरसबा' तक उन सब ऊँचे मक़ामों में जहाँ काहिनों ने ख़ुशबू जलाया था, नजासत डलवाई; और उसने फाटकों के उन ऊँचे मक़ामों को जो शहर के नाज़िम यशू'आ के फाटक के मदखल, या'नी शहर के फाटक के बाएँ हाथ को थे, गिरा दिया। .::. 9 तोभी ऊँचे मक़ामों के काहिन येरूशलेम में ख़ुदावन्द के मज़बह के पास न आए, लेकिन वह अपने भाइयों के साथ बेख़मीरी रोटी खा लेते थे। .::. 10 और उसने तूफ़त में जो बनी — हिन्नूम की वादी में है, नजासत फिंकवाई ताकि कोई शख़्स मोलक के लिए अपने बेटे या बेटी को आग में न जला सके। .::. 11 और उसने उन घोड़ों को दूर कर दिया जिनको यहूदाह के बादशाहों ने सूरज के लिए मख़्सूस करके ख़ुदावन्द के घर के आसताने पर, नातन मलिक ख़्वाजासरा की कोठरी के बराबर रख्खा था जो हैकल की हद के अन्दर थी, और सूरज के रथों को आग से जला दिया। .::. 12 और उन मज़बहों को जो आख़ज़ के बालाख़ाने की छत पर थे, जिनको शाहान — ए — यहूदाह ने बनाया था और उन मज़बहों को जिनको मनस्सी ने ख़ुदावन्द के घर के दोनों सहनों में बनाया था, बादशाह ने ढा दिया और वहाँ से उनको चूर — चूर करके उनकी ख़ाक को क़िद्रोन के नाले में फिकवा दिया। .::. 13 और बादशाह ने उन ऊँचे मक़ामों पर नजासत डलवाई जो येरूशलेम के मुक़ाबिल कोह — ए — आलायश की दहनी तरफ़ थे, जिनको इस्राईल के बादशाह सुलेमान ने सैदानियों की नफ़रती 'अस्तारात और मोआबियों, के नफ़रती कमूस और बनी 'अम्मोंन के नफरती मिल्कोम के लिए बनाया था। .::. 14 और उसने सुतूनों को टुकड़े — टुकड़े कर दिया और यसीरतों को काट डाला, और उनकी जगह में मुर्दों की हड्डियाँ भर दीं। .::. 15 फिर बैतएल का वह मज़बह और वह ऊँचा मक़ाम जिसे नबात के बेटे युरब'आम ने बनाया था, जिसने इस्राईल से गुनाह कराया, इसलिए इस मज़बह और ऊँचे मक़ाम दोनों को उसने ढा दिया, और ऊँचे मक़ाम को जला दिया और उसे कूट — कूटकर ख़ाक कर दिया, और यसीरत को जला दिया। .::. 16 और जब यूसियाह मुड़ा तो उसने उन क़ब्रों को देखा जो वहाँ उस पहाड़ पर थीं, इसलिए उसने लोग भेज कर उन क़ब्रों में से हड्डियाँ निकलवाई, और उनको उस मज़बह पर जलाकर उसे नापाक किया। ये ख़ुदावन्द के सुख़न के मुताबिक़ हुआ, जिसे उस मर्द — ए — ख़ुदा ने जिसने इन बातों की ख़बर दी थी सुनाया था। .::. 17 फिर उसने पूछा, “ये कैसी यादगार है जिसे मैं देखता हूँ?” शहर के लोगों ने उसे बताया, “ये उस मर्द — ए — ख़ुदा की क़ब्र है, जिसने यहूदाह से आकर इन कामों की जो तू ने बैतएल के मज़बह से किए, ख़बर दी।” .::. 18 तब उसने कहा, “उसे रहने दो, कोई उसकी हड्डियों को न सरकाए।” इसलिए उन्होंने उसकी हडिडयाँ उस नबी की हड्डियों के साथ जो सामरिया से आया था रहने दीं। .::. 19 और यूसियाह ने उन ऊँचे मक़ामों के सब घरों को भी जो सामरिया के शहरों में थे, जिनको इस्राईल के बादशाहों ने ख़ुदावन्द को ग़ुस्सा दिलाने को बनाया था ढाया, और जैसा उसने बैतएल में किया था वैसा ही उनसे भी किया। .::. 20 और उसने ऊँचे मक़ामों के सब काहिनों को जो वहाँ थे, उन मज़बहों पर क़त्ल किया और आदमियों की हड्डियाँ उन पर जलाई; फिर वह येरूशलेम को लौट आया। .::. 21 और बादशाह ने सब लोगों को ये हुक्म दिया, कि “ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए फ़सह मनाओ, जैसा 'अहद की इस किताब में लिखा है।” .::. 22 और यक़ीनन क़ाजियों के ज़माने से जो इस्राईल की 'अदालत करते थे, और इस्राईल के बादशाहों और यहूदाह के बादशाहों के कुल दिनों में ऐसी 'ईद — ए — फ़सह कभी नहीं हुई थी। .::. 23 यूसियाह बादशाह के अठारहवें बरस ये फ़सह येरूशलेम में ख़ुदावन्द के लिए मनाई गई। .::. 24 इसके सिवा यूसियाह ने जिन्नात के यारों और जादूगरों और मूरतों और बुतों, और सब नफ़रती चीज़ों को जो मुल्क — ए — यहूदाह और येरूशलेम में नज़र आई दूर कर दिया, ताकि वह शरी'अत की उन बातों को पूरा करे जो उस किताब में लिखी थी, जो ख़िलक़ियाह काहिन को ख़ुदावन्द के घर में मिली थी। .::. 25 उससे पहले कोई बादशाह उसकी तरह नहीं हुआ था, जो अपने सारे दिल और अपनी सारी जान और अपने सारे ज़ोर से मूसा की सारी शरी'अत के मुताबिक़ ख़ुदावन्द की तरफ़ रुजू' लाया हो; और न उसके बाद कोई उसकी तरह खड़ा हुआ। .::. 26 बावजूद इसके मनस्सी की सब बदकारियों की वजह से, जिनसे उसने ख़ुदावन्द को ग़ुस्सा दिलाया था, ख़ुदावन्द अपने सख़्त — ओ — शदीद क़हर से, जिससे उसका ग़ज़ब यहूदाह पर भड़का था, बाज़ न आया। .::. 27 और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, कि “मैं यहूदाह को भी अपनी आँखों के सामने से दूर करूँगा, जैसे मैंने इस्राईल को दूर किया; और मैं इस शहर को जिसे मैंने चुना या'नी येरूशलेम को, और इस घर को जिसके ज़रिए' मैंने कहा था की मेरा नाम वहाँ होगा रद्द कर दूँगा” .::. 28 और यूसियाह के बाक़ी काम और सब कुछ जो उसने किया, इसलिए क्या वह यहूदाह के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में लिखे नहीं? .::. 29 उसी के अय्याम में शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन निकोह शाह — ए — असूर पर चढ़ाई करने के लिए दरिया — ए — फ़रात को गया था; और यूसियाह बादशाह उसका सामना करने को निकला, इसलिए उसने उसे देखते ही मजिद्दो में क़त्ल कर दिया। .::. 30 और उसके मुलाज़िम उसको एक रथ में मजिद्दो से मरा हुआ ले गए, और उसे येरूशलेम में लाकर उसी की क़ब्र में दफ़्न किया। और उस मुल्क के लोगों ने यूसियाह के बेटे यहूआख़ज़ को लेकर उसे मसह किया, और उसके बाप की जगह उसे बादशाह बनाया। .::. 31 और यहूआख़ज़ जब सल्तनत करने लगा तो तेईस साल का था, उसने येरूशलेम में तीन महीने सल्तनत की। उसकी माँ का नाम हमूतल था, जो लिबनाही यरमियाह की बेटी थी। .::. 32 और जो — जो उसके बाप — दादा ने किया था उसके मुताबिक़ इसने भी ख़ुदावन्द की नज़र में गुनाह किया। .::. 33 इसलिए फ़िर'औन निकोह ने उसे रिबला में, जो मुल्क — ए — हमात में है, क़ैद कर दिया ताकि वह येरूशलेम में सल्तनत न करने पाए; और उस मुल्क पर सौ क़िन्तार चाँदी और एक क़िन्तार सोना ख़िराज मुक़र्रर किया। .::. 34 और फ़िर'औन निकोह ने यूसियाह के बेटे इलियाक़ीम को उसके बाप यूसियाह की जगह बादशाह बनाया, और उसका नाम बदलकर यहूयक़ीम रखा, लेकिन यहूआख़ज़ को ले गया, इसलिए वह मिस्र में आकर वहाँ मर गया। .::. 35 यहूयक़ीम ने वह चाँदी और सोना फ़िर'औन को पहुँचाया, पर इस नक़दी को फ़िर'औन के हुक्म के मुताबिक़ देने के लिए उसने ममलुकत पर ख़िराज मुक़र्रर किया; या'नी उसने उस मुल्क के लोगों से हर शख़्स के लगान के मुताबिक़ चाँदी और सोना लिया ताकि फ़िर'औन निकोह को दे। .::. 36 यहूयक़ीम जब सल्तनत करने लगा, तो पच्चीस बरस का था, उसने येरूशलेम में ग्यारह बरस सल्तनत की। उसकी माँ का नाम ज़बूदा था, जो रूमाह के फ़िदायाह की बेटी थी। .::. 37 और जो — जो उसके बाप — दादा ने किया था, उसी के मुताबिक़ उसने भी ख़ुदावन्द की नज़र में बुराई की।
  • سلاطین ۲ باب 1  
  • سلاطین ۲ باب 2  
  • سلاطین ۲ باب 3  
  • سلاطین ۲ باب 4  
  • سلاطین ۲ باب 5  
  • سلاطین ۲ باب 6  
  • سلاطین ۲ باب 7  
  • سلاطین ۲ باب 8  
  • سلاطین ۲ باب 9  
  • سلاطین ۲ باب 10  
  • سلاطین ۲ باب 11  
  • سلاطین ۲ باب 12  
  • سلاطین ۲ باب 13  
  • سلاطین ۲ باب 14  
  • سلاطین ۲ باب 15  
  • سلاطین ۲ باب 16  
  • سلاطین ۲ باب 17  
  • سلاطین ۲ باب 18  
  • سلاطین ۲ باب 19  
  • سلاطین ۲ باب 20  
  • سلاطین ۲ باب 21  
  • سلاطین ۲ باب 22  
  • سلاطین ۲ باب 23  
  • سلاطین ۲ باب 24  
  • سلاطین ۲ باب 25  
×

Alert

×

Urdu Letters Keypad References