غزلُ الغزلات 6 : 1 (IRVUR)
{यरूशलेम की जवान औरत }तेरा महबूब कहाँ गया ऐ 'औरतों में सब से जमीला? तेरा महबूब किस तरफ़ को निकला कि हम तेरे साथ उसकी तलाश में जाएँ?
غزلُ الغزلات 6 : 2 (IRVUR)
मेरा महबूब अपने बोस्तान में बलसान की क्यारियों की तरफ़ गया है, ताकि बागों में चराये और सोसन जमा' करे।
غزلُ الغزلات 6 : 3 (IRVUR)
मैं अपने महबूब की हूँ और मेरा महबूब मेरा है। वह सोसनों में चराता है।
غزلُ الغزلات 6 : 4 (IRVUR)
ऐ मेरी प्यारी, तू तिर्ज़ा की तरह खू़बसूरत है। येरूशलेम की तरह खु़शमंज़र और 'अलमदार लश्कर की तरह दिल पसन्द है।
غزلُ الغزلات 6 : 5 (IRVUR)
अपनी आँखें मेरी तरफ़ से फेर ले, क्यूँकि वह मुझे घबरा देती हैं; तेरे बाल बकरियों के गल्ले की तरह हैं, जो कोह — ए — जिल्आद पर बैठी हों।
غزلُ الغزلات 6 : 6 (IRVUR)
तेरे दाँत भेड़ों के गल्ले की तरह हैं, जिनको गु़स्ल दिया गया हो; जिनमें से हर एक ने दो बच्चे दिए हों, और उनमें एक भी बाँझ न हो।
غزلُ الغزلات 6 : 7 (IRVUR)
तेरी कनपटियाँ तेरे नक़ाब के नीचे, अनार के टुकड़ों की तरह हैं।
غزلُ الغزلات 6 : 8 (IRVUR)
साठ रानियाँ और अस्सी हरमें, और बेशुमार कुंवारियाँ भी हैं;
غزلُ الغزلات 6 : 9 (IRVUR)
लेकिन मेरी कबूतरी, मेरी पाकीज़ा बेमिसाल है; वह अपनी माँ की इकलौती, वह अपनी वालिदा की लाडली है। बेटियों ने उसे देखा और उसे मुबारक कहा। रानियों और हरमों ने देखकर उसकी बड़ाई की।
غزلُ الغزلات 6 : 10 (IRVUR)
यह कौन है जिसका ज़हूर सुबह की तरह है, जो हुस्न में माहताब, और नूर में आफ़ताब, 'अलमदार लश्कर की तरह दिल पसन्द है?
غزلُ الغزلات 6 : 11 (IRVUR)
मैं चिलगोज़ों के बाग में गया, कि वादी की नबातात पर नज़र करूँ, और देखें कि ताक में गुंचे, और अनारों में फूल निकलें हैं कि नहीं।
غزلُ الغزلات 6 : 12 (IRVUR)
मुझे अभी ख़बर भी न थी कि मेरे दिल ने मुझे मेरे उमरा के रथों पर चढ़ा दिया।
غزلُ الغزلات 6 : 13 (IRVUR)
लौट आ, लौट आ, ऐ शूलिमीत! लौट आ, लौट आ कि हम तुझ पर नज़र करें। तुम शूलिमीत पर क्यूँ नज़र करोगे, जैसे वह दो लश्करों का नाच है।
❮
❯
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13