زبُور 42 : 1 (IRVUR)
{दुसरी किताब
(ज़बूर 42-72) }जैसे हिरनी पानी के नालों को तरसती है, वैसे ही ऐ ख़ुदा! मेरी रूह तेरे लिए तरसती है।

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