زبُور 103 : 1 (IRVUR)
ऐ मेरी जान! ख़ुदावन्द को मुबारक़ कह; और जो कुछ मुझमें है उसके पाक नाम को मुबारक़ कहें
زبُور 103 : 2 (IRVUR)
ऐ मेरी जान! ख़ुदावन्द को मुबारक़ कह और उसकी किसी ने'मत को फ़रामोश न कर।
زبُور 103 : 3 (IRVUR)
वह तेरी सारी बदकारी को बख़्शता है वह तुझे तमाम बीमारियों से शिफ़ा देता है
زبُور 103 : 4 (IRVUR)
वह तेरी जान हलाकत से बचाता है, वह तेरे सर पर शफ़क़त व रहमत का ताज रखता है।
زبُور 103 : 5 (IRVUR)
वह तुझे उम्र भर अच्छी अच्छी चीज़ों से आसूदा करता है, तू 'उक़ाब की तरह नए सिरे नौजवान होता है।
زبُور 103 : 6 (IRVUR)
ख़ुदावन्द सब मज़लूमों के लिए सदाक़त और अदल के काम करता है।
زبُور 103 : 7 (IRVUR)
उसने अपनी राहें मूसा पर और अपने काम बनी इस्राईल पर ज़ाहीर किए।
زبُور 103 : 8 (IRVUR)
ख़ुदावन्द रहीम व करीम है, क़हर करने में धीमा और शफ़क़त में गनी।
زبُور 103 : 9 (IRVUR)
वह सदा झिड़कता न रहेगा वह हमेशा ग़ज़बनाक न रहेगा।
زبُور 103 : 10 (IRVUR)
उस ने हमारे गुनाहों के मुवाफ़िक़ हम से सुलूक नहीं किया और हमारी बदकारियों के मुताबिक़ हमको बदला नहीं दिया।
زبُور 103 : 11 (IRVUR)
क्यूँकि जिस क़द्र आसमान ज़मीन से बुलन्द, उसी क़द्र उसकी शफ़क़त उन पर है, जो उससे डरते हैं।
زبُور 103 : 12 (IRVUR)
जैसे पूरब पच्छिम से दूर है, वैसे ही उसने हमारी ख़ताएँ हम सेदूर कर दीं।
زبُور 103 : 13 (IRVUR)
जैसे बाप अपने बेटों पर तरस खाता है, वैसे ही ख़ुदावन्द उन पर जो उससे डरते हैं, तरस खाता है।
زبُور 103 : 14 (IRVUR)
क्यूँकि वह हमारी सरिश्त से वाक़िफ़ है, उसे याद है कि हम ख़ाक हैं।
زبُور 103 : 15 (IRVUR)
इंसान की उम्र तो घास की तरह है, वह जंगली फूल की तरह खिलता है,
زبُور 103 : 16 (IRVUR)
कि हवा उस पर चली और वह नहीं, और उसकी जगह उसे फिर न देखेगी
زبُور 103 : 17 (IRVUR)
लेकिन ख़ुदावन्द की शफ़क़त उससे डरने वालों पर अज़ल से हमेशा तक, और उसकी सदाक़त नसल — दर — नसल है
زبُور 103 : 18 (IRVUR)
या'नी उन पर जो उसके 'अहद पर क़ाईम रहते हैं, और उसके क़वानीन पर 'अमल करनायाद रखते हैं।
زبُور 103 : 19 (IRVUR)
ख़ुदावन्द ने अपना तख़्त आसमान पर क़ाईम किया है, और उसकी सल्तनत सब पर मुसल्लत है।
زبُور 103 : 20 (IRVUR)
ऐ ख़ुदावन्द के फ़िरिश्तो, उसको मुबारक कहो, तुम जो ज़ोर में बढ़ कर हो और उसके कलाम की आवाज़ सुन कर उस पर 'अमल करते हो।
زبُور 103 : 21 (IRVUR)
ऐ ख़ुदावन्द के लश्करो, सब उसको मुबारक कहो! तुम जो उसके ख़ादिम हो और उसकी मर्ज़ी बजा लाते हो।
زبُور 103 : 22 (IRVUR)
ऐ ख़ुदावन्द की मख़लूक़ात, सब उसको मुबारक कहो! तुम जो उसके तसल्लुत के सब मकामों में ही। ऐ मेरी जान, तू ख़ुदावन्द को मुबारक कह!

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