متّی 14 : 1 (IRVUR)
{यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले की मौत } उस वक़्त चौथाई मुल्क के हाकिम हेरोदेस ने ईसा की शोहरत सुनी।
متّی 14 : 2 (IRVUR)
और अपने ख़ादिमों से कहा “ये यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला है वो मुर्दों में से जी उठा है; इसलिए उससे ये मोजिज़े ज़ाहिर होते हैं।”
متّی 14 : 3 (IRVUR)
क्यूँकि हेरोदेस ने अपने भाई फ़िलिप्पुस की बीवी हेरोदियास की वजह से यूहन्ना को पकड़ कर बाँधा और क़ैद खाने में डाल दिया था।
متّی 14 : 4 (IRVUR)
क्यूँकि यूहन्ना ने उससे कहा था कि इसका रखना तुझे जायज़ नहीं।
متّی 14 : 5 (IRVUR)
और वो हर चन्द उसे क़त्ल करना चाहता था, मगर आम लोगों से डरता था क्यूँकि वो उसे नबी मानते थे।
متّی 14 : 6 (IRVUR)
लेकिन जब हेरोदेस की साल गिरह हुई तो हेरोदियास की बेटी ने महफ़िल में नाच कर हेरोदेस को ख़ुश किया।
متّی 14 : 7 (IRVUR)
इस पर उसने क़सम खाकर उससे वा'दा किया “जो कुछ तू माँगेगी तुझे दूँगा।”
متّی 14 : 8 (IRVUR)
उसने अपनी माँ के सिखाने से कहा, “मुझे यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का सिर थाल में यहीं मँगवा दे।”
متّی 14 : 9 (IRVUR)
बादशाह ग़मगीन हुआ; मगर अपनी क़समों और मेहमानों की वजह से उसने हुक्म दिया कि दे दिया जाए।
متّی 14 : 10 (IRVUR)
और आदमी भेज कर क़ैद खाने में यूहन्ना का सिर कटवा दिया।
متّی 14 : 11 (IRVUR)
और उस का सिर थाल में लाया गया और लड़की को दिया गया; और वो उसे अपनी माँ के पास ले गई।
متّی 14 : 12 (IRVUR)
और उसके शागिर्दों ने आकर लाश उठाई और उसे दफ़्न कर दिया, और जा कर ईसा को ख़बर दी।
متّی 14 : 13 (IRVUR)
जब ईसा ने ये सुना तो वहाँ से नाव पर अलग किसी वीरान जगह को रवाना हुआ और लोग ये सुनकर शहर — शहर से पैदल उसके पीछे गए।
متّی 14 : 14 (IRVUR)
उसने उतर कर बड़ी भीड़ देखी और उसे उन पर तरस आया; और उसने उनके बीमारों को अच्छा कर दिया।
متّی 14 : 15 (IRVUR)
जब शाम हुई तो शागिर्द उसके पास आकर कहने लगे “जगह वीरान है और वक़्त गुज़र गया है लोगों को रुख़्सत कर दे ताकि गाँव में जाकर अपने लिए खाना ख़रीद लें।”
متّی 14 : 16 (IRVUR)
ईसा ने उनसे कहा, “इन्हें जाने की ज़रूरत नहीं, तुम ही इनको खाने को दो।”
متّی 14 : 17 (IRVUR)
उन्होंने उससे कहा “यहाँ हमारे पास पाँच रोटियाँ और दो मछलियों के सिवा और कुछ नहीं।”
متّی 14 : 18 (IRVUR)
उसने कहा “वो यहाँ मेरे पास ले आओ,”
متّی 14 : 19 (IRVUR)
और उसने लोगों को घास पर बैठने का हुक्म दिया। फिर उस ने वो पाँच रोटियों और दो मछलियाँ लीं और आसमान की तरफ़ देख कर बर्क़त दी और रोटियाँ तोड़ कर शागिर्दों को दीं और शागिर्दों ने लोगों को।
متّی 14 : 20 (IRVUR)
और सब खाकर सेर हो गए; और उन्होंने बिना इस्तेमाल बचे हुए खाने से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाईं।
متّی 14 : 21 (IRVUR)
और खानेवाले औरतों और बच्चों के सिवा पाँच हज़ार मर्द के क़रीब थे।
متّی 14 : 22 (IRVUR)
और उसने फ़ौरन शागिर्दों को मजबूर किया कि नाव में सवार होकर उससे पहले पार चले जाएँ जब तक वो लोगों को रुख़्सत करे।
متّی 14 : 23 (IRVUR)
और लोगों को रुख़्सत करके तन्हा दुआ करने के लिए पहाड़ पर चढ़ गया; और जब शाम हुई तो वहाँ अकेला था।
متّی 14 : 24 (IRVUR)
मगर नाव उस वक़्त झील के बीच में थी और लहरों से डगमगा रही थी; क्यूँकि हवा मुख़ालिफ़ थी।
متّی 14 : 25 (IRVUR)
और वो रात के चौथे पहर झील पर चलता हुआ उनके पास आया।
متّی 14 : 26 (IRVUR)
शागिर्द उसे झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए और कहने लगे “भूत है,” और डर कर चिल्ला उठे।
متّی 14 : 27 (IRVUR)
ईसा ने फ़ौरन उन से कहा “इत्मीनान रख्खो! मैं हूँ। डरो मत।”
متّی 14 : 28 (IRVUR)
पतरस ने उससे जवाब में कहा “ऐ ख़ुदावन्द, अगर तू है तो मुझे हुक्म दे कि पानी पर चलकर तेरे पास आऊँ।”
متّی 14 : 29 (IRVUR)
उस ने कहा, “आ।” पतरस नाव से उतर कर ईसा के पास जाने के लिए पानी पर चलने लगा।
متّی 14 : 30 (IRVUR)
मगर जब हवा देखी तो डर गया और जब डूबने लगा तो चिल्ला कर कहा “ऐ ख़ुदावन्द, मुझे बचा!”
متّی 14 : 31 (IRVUR)
ईसा ने फ़ौरन हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ लिया। और उससे कहा, “ऐ कम ईमान तूने क्यूँ शक किया?”
متّی 14 : 32 (IRVUR)
जब वो नाव पर चढ़ आए तो हवा थम गई;
متّی 14 : 33 (IRVUR)
जो नाव पर थे, उन्होंने सज्दा करके कहा “यक़ीनन तू ख़ुदा का बेटा है!”
متّی 14 : 34 (IRVUR)
वो नदी पार जाकर गनेसरत के इलाक़े में पहुँचे।
متّی 14 : 35 (IRVUR)
और वहाँ के लोगों ने उसे पहचान कर उस सारे इलाक़े में ख़बर भेजी; और सब बीमारों को उस के पास लाए।
متّی 14 : 36 (IRVUR)
और वो उसकी मिन्नत करने लगे कि उसकी पोशाक का किनारा ही छू लें और जितनों ने उसे छुआ वो अच्छे हो गए।
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