عِبرانیوں 3 : 1 (IRVUR)
पस ऐ पाक भाइयों! तुम जो आसमानी बुलावे में शरीक हो, उस रसूल और सरदार काहिन ईसा पर ग़ौर करो जिसका हम करते हैं;
عِبرانیوں 3 : 2 (IRVUR)
जो अपने मुक़र्रर करनेवाले के हक़ में दियानतदार था, जिस तरह मूसा ख़ुदा के सारे घर में था।
عِبرانیوں 3 : 3 (IRVUR)
क्यूँकि वो मूसा से इस क़दर ज़्यादा 'इज़्ज़त के लायक़ समझा गया, जिस क़दर घर का बनाने वाला घर से ज़्यादा इज़्ज़तदार होता है।
عِبرانیوں 3 : 4 (IRVUR)
चुनाँचे हर एक घर का कोई न कोई बनाने वाला होता है, मगर जिसने सब चीज़ें बनाइं वो ख़ुदा है। [PE][PS]
عِبرانیوں 3 : 5 (IRVUR)
मूसा तो उसके सारे घर में ख़ादिम की तरह दियानतदार रहा, ताकि आइन्दा बयान होनेवाली बातों की गवाही दे।
عِبرانیوں 3 : 6 (IRVUR)
लेकिन मसीह बेटे की तरह उसके घर का मालिक है, और उसका घर हम हैं; बशर्ते कि अपनी दिलेरी और उम्मीद का फ़ख़्र आख़िर तक मज़बूती से क़ाईम रख्खें। [PE][PS]
عِبرانیوں 3 : 7 (IRVUR)
पस जिस तरह कि पाक रूह कलाम में फ़रमाता है, [QBR] “अगर आज तुम उसकी आवाज़ सुनो, [QBR]
عِبرانیوں 3 : 8 (IRVUR)
तो अपने दिलों को सख़्त न करो, [QBR] जिस तरह ग़ुस्सा दिलाने के वक़्त [QBR] आज़माइश के दिन जंगल में किया था। [QBR]
عِبرانیوں 3 : 9 (IRVUR)
जहाँ तुम्हारे बाप — दादा ने मुझे जाँचा [QBR] और आज़माया और चालीस बरस तक मेरे काम देखे। [QBR]
عِبرانیوں 3 : 10 (IRVUR)
इसलिए मैं उस पीढ़ी से नाराज़ हुआ, [QBR] और कहा, 'इनके दिल हमेशा गुमराह होते रहते है, [QBR] और उन्होंने मेरी राहों को नहीं पहचाना। [QBR]
عِبرانیوں 3 : 11 (IRVUR)
चुनाँचे मैंने अपने ग़ुस्से में क़सम खाई, [QBR] 'ये मेरे आराम में दाख़िल न होने पाएँगे'।” [PE][PS]
عِبرانیوں 3 : 12 (IRVUR)
ऐ भाइयों! ख़बरदार! तुम में से किसी का ऐसा बुरा और बे — ईमान दिल न हो, जो ज़िन्दा ख़ुदा से फिर जाए।
عِبرانیوں 3 : 13 (IRVUR)
बल्कि जिस रोज़ तक आज का दिन कहा जाता है, हर रोज़ आपस में नसीहत किया करो, ताकि तुम में से कोई गुनाह के धोखे में आकर सख़्त दिल न हो जाए। [PE][PS]
عِبرانیوں 3 : 14 (IRVUR)
क्यूँकि हम मसीह में शरीक हुए हैं, बशर्ते कि अपने शुरुआत के भरोसे पर आख़िर तक मज़बूती से क़ाईम रहें। [PE][PS]
عِبرانیوں 3 : 15 (IRVUR)
चुनाँचे कलाम में लिखा है [QBR] “अगर आज तुम उसकी आवाज़ सुनो, [QBR] तो अपने दिलों को सख़्त न करो, जिस तरह कि ग़ुस्सा दिलाने के वक़्त किया था।” [PE][PS]
عِبرانیوں 3 : 16 (IRVUR)
किन लोगों ने आवाज़ सुन कर ग़ुस्सा दिलाया? क्या उन सब ने नहीं जो मूसा के वसीले से मिस्र से निकले थे?
عِبرانیوں 3 : 17 (IRVUR)
और वो किन लोगों से चालीस बरस तक नाराज़ रहा? क्या उनसे नहीं जिन्होंने गुनाह किया, और उनकी लाशें वीराने में पड़ी रहीं?
عِبرانیوں 3 : 18 (IRVUR)
और किनके बारे में उसने क़सम खाई कि वो मेरे आराम में दाख़िल न होने पाएँगे, सिवा उनके जिन्होंने नाफ़रमानी की?
عِبرانیوں 3 : 19 (IRVUR)
ग़रज़ हम देखते हैं कि वो बे — ईमानी की वजह से दाख़िल न हो सके। [PE]

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