پیَدایش 40 : 1 (IRVUR)
{यूसुफ़ का दो ख़्वाबों का बख़ान करना } इन बातों के बाद यूँ हुआ कि शाह ए — मिस्र का साकी और नानपज़ अपने ख़ुदावन्द शाह — ए — मिस्र के मुजरिम हुए।

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