حزقی ایل 15 : 1 (IRVUR)
{यरुशलेम–एक बेकार बेल } और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
حزقی ایل 15 : 2 (IRVUR)
कि 'ऐ आदमज़ाद, क्या ताक की लकड़ी और दरख़्तों की लकड़ी से, या'नी शाख़ — ए — अंगूर जंगल के दरख़्तों से कुछ बेहतर है?
حزقی ایل 15 : 3 (IRVUR)
क्या उसकी लकड़ी कोई लेता है कि उससे कुछ बनाए, या लोग उसकी खूंटियाँ बना लेते हैं कि उन पर बर्तन लटकाएँ?
حزقی ایل 15 : 4 (IRVUR)
देख, वह आग में ईन्धन के लिए डाली जाती है, जब आग उसके दोनों सिरों को खा गई और बीच के हिस्से को भसम कर चुकी, तो क्या वह किसी काम की है?
حزقی ایل 15 : 5 (IRVUR)
देख, जब वह सही थी तो किसी काम की न थी, और जब आग से जल गई तो किस काम की है?
حزقی ایل 15 : 6 (IRVUR)
फिर ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: जिस तरह मैंने जंगल के दरख़्तों में से अंगूर के दरख़्त को आग का ईन्धन बनाया, उसी तरह येरूशलेम के बाशिन्दों को बनाऊँगा।
حزقی ایل 15 : 7 (IRVUR)
और मेरा चेहरा उनके ख़िलाफ़ होगा, वह आग से निकल भागेंगे पर आग उनको भसम करेगी; और जब मेरा चेहरा उनके ख़िलाफ़ होगा, तो तुम जानोगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
حزقی ایل 15 : 8 (IRVUR)
और मैं मुल्क को उजाड़ डालूँगा, इसलिए कि उन्होंने बड़ी बेवफ़ाई की है, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।

1 2 3 4 5 6 7 8