1. और इस्राईल के लोगों ने मिस्फ़ाह में क़सम खाकर कहा था कि हम में से कोई अपनी बेटी किसी बिनयमीनी को न देगा।
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3. और उन्होंने कहा, ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा! इस्राईल में ऐसा क्यूँ हुआ, कि इस्राईल में से आज के दिन एक क़बीला कम हो गया?
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4. और दूसरे दिन वह लोग सुबह सवेरे उठे और उस जगह एक मज़बह बना कर सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ और सलामती की क़ुर्बानियाँ पेश कीं।
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5. और बनी — इस्राईल कहने लगे कि इस्राईल के सब क़बीलों में ऐसा कौन है जो ख़ुदावन्द के हुज़ूर जमा'अत के साथ नहीं आया क्यूँकि उन्होंने सख़्त क़सम खाई थी कि जो ख़ुदावन्द के सामने मिस्फ़ाह में हाज़िर न होगा वह ज़रूर क़त्ल किया जाएगा।
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6. इसलिए बनी — इस्राईल अपने भाई बिनयमीन की वजह से पछताए और कहने लगे कि आज के दिन बनी — इस्राईल का एक क़बीला कट गया।
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7. और वह जो बाक़ी रहे हैं, हम उनके लिए बीवियों की निस्बत क्या करें? क्यूँकि हम ने तो ख़ुदावन्द की क़सम खाई है कि हम अपनी बेटियाँ उनको नहीं ब्याहेंगे।
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8. इसलिए वह कहने लगे कि बनी — इस्राईल में से वह कौन सा क़बीला है जो मिस्फ़ाह में ख़ुदावन्द के सामने नहीं आया? और देखो, लश्कर गाह में जमा'अत में शामिल होने के लिए यबीस जिल'आद से कोई नहीं आया था।
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10. तब जमा'अत ने बारह हज़ार सूर्मा रवाना किए और उनको हुक्म दिया कि जाकर याबीस जिल'आद के बाशिंदों को 'औरतों और बच्चों समेत क़त्ल करो।
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11. और जो तुम को करना होगा वह यह है, कि सब शख़्सों और ऐसी 'औरतों को जो शख़्ससे वाक़िफ़ हो चुकी हों हलाक कर देना।
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12. और उनको यबीस जिल'आद के बाशिंदों में चार सौ कुँवारी 'औरतें मिलीं जो शख़्स से नावाक़िफ़ और अछूती थीं, और वह उनको मुल्क — ए — कन'आन में शीलोह की लश्करगाह में ले आए।
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13. तब सारी जमा'अत ने बनी बिनयमीन को जो रिम्मोन की चट्टान में थे कहला भेजा, और सलामती का पैग़ाम उनको दिया।
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14. तब बिनयमीनी लौटे; और उन्होंने वह 'औरतें उनको दे दीं, जिनको उन्होंने यबीस जिल'आद की 'औरतों में से ज़िन्दा बचाया था, लेकिन वह उनके लिए बस न हुई।
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16. तब जमा'अत के बुज़ुर्ग कहने लगे किउनके लिए जो बच रहे हैं बीवियों की निस्बत हम क्या करें, क्यूँकि बनी बिनयमीन की सब 'औरतें मिट गई?
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17. इसलिए उन्होंने कहा, 'बनी बिनयमीन के बाक़ी मान्दा लोगों के लिए मीरास ज़रूरी है, ताकि इस्राईल में से एक क़बीला मिट न जाए।
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18. तो भी हम तो अपनी बेटियां उनको ब्याह नहीं सकते; क्यूँकि बनी — इस्राईल ने यह कहकर क़सम खाई थी, कि जो किसी बिनयमीनी को बेटी दे वह ला'नती हो।
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19. फिर वह कहने लगे, “देखो, शीलोह में जो बैतएल के उत्तर में, और उस शाहराह की मशरिक़ी तरफ़ में है जो बैतएल से सिकम को जाती है, और लबूना के दख्खिन में है, साल — ब — साल ख़ुदावन्द की एक 'ईद होती है।”
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21. और देखते रहना, कि अगर शीलोह की लड़कियाँ नाच नाचने को निकलें, तो तुम ताकिस्तानों में से निकलकर सैला की लड़कियों में से एक एक बीवी अपने अपने लिए पकड़ लेना, और बिनयमीन के मुल्क को चल देना।
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22. और जब उनके बाप या भाई हम से शिकायत करने को आएँगे, तो हम उनसे कह देंगे कि उनको महेरबानी से हमें 'इनायत करो, क्यूँकि उस लड़ाई में हम उनमें से हर एक के लिए बीवी नहीं लाए; और तुम ने उनको अपने आप नहीं दिया, वरना तुम गुनहगार होते।
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23. ग़रज़ बनी बिनयमीन ने ऐसा ही किया, और अपने शुमार के मुताबिक़ उनमें से जो नाच रही थीं जिनको पकड़ कर ले भागे, उनको ब्याह लिया और अपनी मीरास को लौट गए, और उन शहरों को बना कर उनमें रहने लगे।
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25. और उन दिनों इस्राईल में कोई बादशाह न था; हर एक शख़्स जो कुछ उसकी नज़र में अच्छा मा'लूम होता था वही करता था। PE
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