Urdu بائبل
احبار کل 27 ابواب
احبار باب 13
1 {जिल्द की संगीन बिमारी } फिर ख़ुदावन्द ने मूसा और हारून से कहा,
2 “अगर किसी के जिस्म की जिल्द में वर्म, या पपड़ी, या सफ़ेद चमकता हुआ दाग़ हो, और उसके जिस्म की जिल्द में कोढ़ जैसी बला हो, तो उसे हारून काहिन के पास या उसके बेटों में से जो काहिन हैं किसी के पास ले जाएँ।
3 और काहिन उसके जिस्म की जिल्द की बला को देखे, अगर उस बला की जगह के बाल सफ़ेद हो गए हों और वह बला देखने में खाल से गहरी हो, तो वह कोढ़ का मर्ज़ है; और काहिन उस शख़्स को देख कर उसे नापाक करार दे।
احبار باب 13
4 और अगर उसके जिस्म की जिल्द का चमकता हुआ दाग़ सफ़ेद तो हो लेकिन खाल से गहरा न दिखाई दे, और न उसके ऊपर के बाल सफ़ेद हो गए हों, तो काहिन उस शख़्स को सात दिन तक बन्द रख्खे;
5 और सातवें दिन काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर वह बला उसे वहीं के वहीं दिखाई दे और जिल्द पर फैल न गई हो, तो काहिन उसे सात दिन और बन्द रख्खे;
6 और सातवें दिन काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि उस बला की चमक कम है और वह जिल्द के ऊपर फैली भी नहीं है; तो काहिन उसे पाक क़रार दे क्यूँकि वह पपड़ी है। इसलिए वह अपने कपड़े धो डाले और साफ़ हो जाए।
احبار باب 13
7 लेकिन अगर काहिन के उस मुलहज़े के बाद जिस में वह साफ़ क़रार दिया गया था, वह पपड़ी उसकी जिल्द पर बहुत फैल जाए, तो वह शख़्स काहिन को फिर दिखाया जाए;
8 और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह पपड़ी जिल्द पर फैल गई है तो वह उसे नापाक क़रार दे; क्यूँकि वह कोढ़ है।
9 “अगर किसी शख़्स को कोढ़ का मर्ज़ हो, तो उसे काहिन के पास ले जाएँ,
احبار باب 13
10 और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि जिल्द पर सफ़ेद वर्म है और उसने बालों को सफ़ेद कर दिया है, और उस वर्म की जगह का गोश्त ज़िन्दा और कच्चा है,
11 तो यह उसके जिस्म की जिल्द में पुराना कोढ़ है, इसलिए काहिन उसे नापाक करार दे लेकिन उसे बन्द न करे क्यूँकि वह नापाक है।
12 और अगर कोढ़ जिल्द में चारों तरफ़ फूट आए, और जहाँ तक काहिन को दिखाई देता है, यही मा'लूम हो कि उस की जिल्द सिर से पाँव तक कोढ़ से ढंक गई है;
احبار باب 13
13 तो काहिन ग़ौर से देखे और अगर उस शख़्स का सारा जिस्म कोढ़ से ढका हुआ निकले, तो काहिन उस मरीज़ को पाक क़रार दे, क्यूँकि वह सब सफ़ेद हो गया है और वह पाक है।
14 लेकिन जिस दिन जीता और कच्चा गोश्त उस पर दिखाई दे, वह नापाक होगा।
15 और काहिन उस कच्चे गोश्त को देख कर उस शख़्स को नापाक करार दे, कच्चा गोश्त नापाक होता है; वह कोढ़ है।
احبار باب 13
16 और अगर वह कच्चा गोश्त फिर कर सफ़ेद हो जाए, तो वह काहिन के पास जाए;
17 और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि मर्ज़ की जगह सब सफ़ेद हो गई है तो काहिन मरीज़ को पाक क़रार दे; वह पाक है।
18 'और अगर किसी के जिस्म की जिल्द पर फोड़ा हो कर अच्छा हो जाए,
19 और फोड़े की जगह सफ़ेद वर्म या सुर्ख़ी माइल चमकता हुआ सफ़ेद दाग़ हो तो वह दिखाया जाए;
احبار باب 13
20 और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह खाल से गहरा नज़र आता है और उस पर के बाल भी सफ़ेद हो गए हैं, तो काहिन उस शख़्स को नापाक करार दे; क्यूँकि वह कोढ़ है जो फोड़े में से फूट कर निकला है।
21 लेकिन अगर काहिन देखे कि उस पर सफ़ेद बाल नहीं, और वह खाल से गहरा भी नहीं है और उसकी चमक कम है; तो काहिन उसे सात दिन तक बन्द रख्खे।
22 और अगर वह जिल्द पर चारों तरफ़ फैल जाए, तो काहिन उसे नापाक क़रार दे; क्यूँकि वह कोढ़ की बला है।
احبار باب 13
23 लेकिन अगर वह चमकता हुआ दाग अपनी जगह पर वहीं का वहीं रहे, और फैल न जाए तो वह फोड़े का दाग़ है; तब काहिन उस शख़्स को पाक करार दे।
24 “या अगर जिस्म की खाल कहीं से जल जाए, और उस जली हुई जगह का ज़िन्दा गोश्त एक सुर्ख़ी माइल चमकता हुआ सफ़ेद दाग़ या बिल्कुल ही सफ़ेद दाग़ बन जाए
25 तो काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि उस चमकते हुए दाग़ के बाल सफ़ेद हो गए हैं और वह खाल से गहरा दिखाई देता है; तो वह कोढ़ है जो उस जल जाने से पैदा हुआ है; और काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे क्यूँकि उसे कोढ़ की बीमारी है।
احبار باب 13
26 लेकिन अगर काहिन देखे कि उस चमकते हुए दाग़ पर सफ़ेद बाल नहीं, और न वह खाल से गहरा है बल्कि उसकी चमक भी कम है, तो वह उसे सात दिन तक बन्द रख्खे;
27 और सातवें दिन काहिन उसे देखे, अगर वह जिल्द पर बहुत फैल गया हो तो काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे; क्यूँकि उसे कोढ़ की बीमारी है।
28 और अगर वह चमकता हुआ दाग़ अपनी जगह पर वहीं का वहीं रहे और जिल्द पर फैला हुआ न हो, बल्कि उसकी चमक भी कम हो, तो वह सिर्फ़ जल जाने की वजह से फूला हुआ है; और काहिन उस शख़्स को पाक क़रार दे क्यूँकि वह दाग़ जल जाने की वजह से है।
احبار باب 13
29 “अगर किसी मर्द या 'औरत के सिर या ठोड़ी में दाग़ हो,
30 तो काहिन उस दाग़ को मुलाहिज़ा करे और अगर देखे कि वह खाल से गहरा मा'लूम होता है और उस पर ज़र्द — ज़र्द बारीक रोंगटे हैं तों काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे क्यूँकि वह सा'फ़ा है जो सिर या ठोड़ी का कोढ़ है।
31 और अगर काहिन देखे कि वह सा'फ़ा की बला खाल से गहरी नहीं मा'लूम होती और उस पर स्याह बाल नहीं हैं, तो काहिन उस शख़्स को जिसे सा'फ़ा का मर्ज़ है, सात दिन तक बन्द रख्खे;
احبار باب 13
32 और सातवें दिन काहिन उस बला का मुलाहिज़ा करे और अगर देखे कि सा'फ़ा फैला नहीं और उस पर कोई ज़र्द बाल भी नहीं और सा'फ़ा खाल से गहरा नहीं मा'लूम होता;
33 तो उस शख़्स के बाल मूँडे जाएँ, लेकिन जहाँ सा'फ़ा हो वह जगह न मूँडी जाए। और काहिन उस शख़्स को जिसे सा'फ़ा का मर्ज़ है, सात दिन और बन्द रख्खे।
34 फिर सातवें रोज़ काहिन सा'फ़े का मुलाहिज़ा करे, और अगर देखें कि सा'फ़ा जिल्द में फैला नहीं और न वह खाल से गहरा दिखाई देता है तो काहिन उस शख़्स को पाक करार दे; और वह अपने कपड़े धोए और साफ़ हो जाए।
احبار باب 13
35 लेकिन अगर उस की सफ़ाई के बाद सा'फ़ा उसकी जिल्द पर बहुत फैल जाए तो काहिन उसे देखे,
36 और अगर सा'फ़ा उसकी जिल्द पर फैला हुआ नज़र आए तो काहिन ज़र्द बाल को न ढूँढे क्यूँकि वह शख़्स नापाक है।
37 लेकिन अगर उस को सा'फ़ा अपनी जगह पर वहीं का वहीं दिखाई दे और उस पर स्याह बाल निकले हुए हों, तो सा'फ़ा अच्छा हो गया; वह शख़्स पाक है और काहिन उसे पाक क़रार दे।
احبار باب 13
38 और अगर किसी मर्द या 'औरत के जिस्म की जिल्द में चमकते हुए दाग़ या सफ़ेद चमकते हुए दाग़ हों,
39 तो काहिन देखे, और अगर उनके जिस्म की जिल्द के दाग स्याही माइल सफ़ेद रंग के हों, तो वह छीप है जो जिल्द में फूट निकली है; वह शख़्स पाक है।
40 'और जिस शख़्स के सिर के बाल गिर गए हों, वह गंजा तो है मगर पाक है।
41 और जिस शख़्स के सर के बाल पेशानी की तरफ़ से गिर गए हों, वह चँदुला तो है मगर पाक है।
احبار باب 13
42 लेकिन उस गंजे या चँदले सिर पर सुर्ख़ी माइल सफ़ेद दाग़ हों, तो यह कोढ़ है जो उसके गंजे या चँदले सिर पर निकला है;
43 इसलिए काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर वह देखे कि उसके गंजे या चँदले सिर पर वह दाग़ ऐसा सुर्खी माइल सफ़ेद रंग लिए हुए है, जैसा जिल्द के कोढ़ में होता है,
44 तो वह आदमी कोढ़ी है, वह नापाक है और काहिन उसे ज़रूर ही नापाक करार दे क्यूँकि वह मर्ज़ उसके सिर पर है।
احبار باب 13
45 और जो कोढ़ी इस बला में मुब्तिला हो, उसके कपड़े फटे और उसके सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपर के होंट को ढाँके और चिल्ला — चिल्ला कर कहे, नापाक, नापाक।
46 जितने दिनों तक वह इस बला में मुब्तिला रहे, वह नापाक रहेगा और वह है भी नापाक। तब वह अकेला रहा करे, उसका मकान लश्करगाह के बाहर हो।
47 {कोढ़ की बला वाले कपड़े का मुआलजा } 'और वह कपड़ा भी जिस में कोढ़ की बला हो, चाहे वह ऊन का हो या कतान का;
احبار باب 13
48 और वह बला भी चाहे कतान या ऊन के कपड़े के ताने में या उसके बाने में हो, या वह चमड़े में हो या चमड़े की बनी हुई किसी चीज़ में हो;
49 अगर वह बला कपड़े में या चमड़े में, कपड़े के ताने में या बाने में या चमड़े की किसी चीज़ में सब्ज़ी माइल या सुर्ख़ी माइल रंग की हो, तो वह कोढ़ की बला है और काहिन को दिखाई जाए।
50 और काहिन उस बला को देखे, और उस चीज़ को जिस में वह बला है सात दिन तक बन्द रख्खे;
احبار باب 13
51 और सातवें दिन उस को देखें। अगर वह बला कपड़े के ताने में या बाने में, या चमड़े पर या चमड़े की बनी हुई किसी चीज़ पर फैल गई हो, तो वह खा जाने वाला कोढ़ है और नापाक है।
52 और उस ऊन या कतान के कपड़े को जिसके ताने में या बाने में वह बला है, या चमड़े की उस चीज़ को जिस में वह है जला दे; क्यूँकि यह खा जाने वाला कोढ़ है। वह आग में जलाया जाए।
53 “और अगर काहिन देखे, कि वह बला कपड़े के ताने में या बाने में, या चमड़े की किसी चीज़ में फैली हुई नज़र नहीं आती,
احبار باب 13
54 तो काहिन हुक्म करे कि उस चीज़ को जिस में वह बला है धोएँ, और वह फिर उसे और सात दिन तक बन्द रख्खे;
55 और उस बला के धोए जाने के बाद काहिन फिर उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि उस बला का रंग नहीं बदला और वह फैली भी नहीं है, तो वह नापाक है। तू उस कपड़े को आग में जला देना; क्यूँकि वह खा जाने वाली बला है, चाहे उस का फ़साद अन्दरूनी हो या बैरूनी।
56 और अगर काहिन देखे कि धोने के बाद उस बला की चमक कम हो गई है, तो वह उसे उस कपड़े से या चमड़े से, ताने या बाने से, फाड़ कर निकाल फेंके।
احبار باب 13
57 और अगर वह बला फिर भी कपड़े के ताने या बाने में या चमड़े की चीज़ में दिखाई दे, तो वह फूटकर निकल रही है। तब तू उस चीज़ को जिस में वह बला है आग में जला देना।
58 और अगर उस कपड़े के ताने या बाने में से, या चमड़े की चीज़ में से, जिसे तूने धोया है, वह बला जाती रहे तो वह चीज़ दोबारा धोई जाए और वह पाक ठहरेगी।”
59 ऊन या कतान के ताने या बाने में, या चमड़े की किसी चीज़ में अगर कोढ़ की बला हो, तो उसे पाक या नापाक क़रार देने केलिए शरा' यही है।