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یسعیاہ کل 66 ابواب

یسعیاہ

یسعیاہ باب 16
یسعیاہ باب 16

1 सिला' से वीराने की राह दुख़्तर — ए — सिय्यून के पहाड़ पर मुल्क के हाकिम के पास बर्रे भेजो।

2 क्यूँकि अरनून के घाटों पर मोआब की बेटियाँ, आवारा परिन्दों और उनके तितर बितर बच्चों की तरह होंगी।

3 सलाह दो, इन्साफ़ करो, अपना साया, दोपहर को रात की तरह बनाओ; जिलावतनों को पनाह दो; फ़रारियों को हवाले न करो।

4 मेरे जिलावतन तेरे साथ रहें, तू मोआब को ग़ारतगरों से छिपा ले; क्यूँकि सितमगर ख़त्म होंगे और ग़ारतगरी तमाम हो जाएगी और सब ज़ालिम मुल्क से फ़ना होंगे।

یسعیاہ باب 16

5 यूँ तख़्त रहमत से क़ाईम न होगा, और एक शख़्स रास्ती से दाऊद के ख़ेमे में उस पर जुलूस फ़रमा कर 'अद्ल की पैरवी करेगा, और रास्तबाज़ी पर मुस्त'इद रहेगा।

6 हम ने मोआब के घमण्ड के ज़रिए' सुना है कि वह बड़ा घमण्डी है; उसका तकब्बुर और घमण्ड और क़हर भी सुना है, उसकी शेख़ी हेच है।

7 इसलिए मोआब वावैला करेगा, मोआब के लिए हर एक वावैला करेगा; क़ीर हिरासत की किशमिश की टिक्कियों पर तुम सख़्त तबाह हाली में मातम करोगे।

یسعیاہ باب 16

8 क्यूँकि हस्बोन के खेत सूख गए, क़ौमों के सरदारों ने सिबमाह की ताक की बहतरीन शाख़ों को तोड़ डाला; वह या'ज़ेर तक बढ़ीं, वह जंगल में भी फैलीं; उसकी शाख़ें दूर तक फैल गईं, वह दरिया पार गुज़री।

9 फिर मैं या'ज़ेर के आह — ओ — नाले से सिबमाह की ताक के लिए ज़ारी करूँगा ऐ हस्बून ऐ इली'आली मैं तुझे अपने आँसुओं से तर कर दूँगा, क्यूँकि तेरे दिनों गर्मीं के मेवों और ग़ल्ले की फ़सल को ग़ोग़ा — ए — जंग ने आ लिया;

یسعیاہ باب 16

10 और शादमानी छीन ली गई और हरे भरे खेतों की ख़ुशी जाती रही; और ताकिस्तानों में गाना और ललकारना बन्द हो जाएगा; पामाल करनेवाले अंगूरों को फिर हौज़ों में पामाल न करेंगे; मैंने अंगूर की फ़सल के ग़ल्ले को ख़त्म कर दिया।

11 इसलिए मेरा अन्दरून मोआब पर और मेरा दिल कीर हारस पर बरबत की तरह फ़ुग़ा खेज़ है।

12 और यूँ होगा कि जब मोआब हाज़िर हो और ऊँचे मक़ाम पर अपने आपको थकाए बल्कि अपने मा'बद में जाकर दुआ करे, उसे कुछ फ़ायदा न होगा।

یسعیاہ باب 16

13 यह वह कलाम है जो ख़ुदावन्द ने मोआब के हक़ में पिछले ज़माने में फ़रमाया था

14 लेकिन अब ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि तीन बरस के अन्दर जो मज़दूरों के बरसों की तरह हों, मोआब की शौकत उसके तमाम लश्करों के साथ हक़ीर हो जाएगी; और बहुत थोड़े बाक़ी बचेंगे, और वह किसी हिसाब में न होंगे।