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عِبرانیوں کل 13 ابواب

عِبرانیوں

عِبرانیوں باب 8
عِبرانیوں باب 8

1 {मसीह हमारा इमाम — ए — आज़म है } जो कुछ हम कह रहे हैं उस की ख़ास बात यह है, हमारा एक ऐसा इमाम — ए — आज़म है जो आसमान पर जलाली ख़ुदा के तख़्त के दहने हाथ बैठा है।

2 वहाँ वह मक़्दिस में ख़िदमत करता है, उस हक़ीक़ी मुलाक़ात के ख़ेमे[* ख़ेमे इबादत की जगह थी जब तक सुलैमान ने हैकल नहीं बनाया था ] में जिसे इंसानी हाथों ने खड़ा नहीं किया बल्कि ख़ुदा ने।

عِبرانیوں باب 8

3 हर इमाम — ए — आज़म को नज़राने और क़ुर्बानियाँ पेश करने के लिए मुक़र्रर किया जाता है। इस लिए लाज़िम है कि हमारे इमाम — ए — आज़म के पास भी कुछ हो जो वह पेश कर सके।

4 अगर यह दुनिया में होता तो इमाम — ए — आज़म न होता, क्यूँकि यहाँ इमाम तो हैं जो शरी'अत के लिहाज़ से नज़राने पेश करते हैं।

5 जिस मक़्दिस में वह ख़िदमत करते हैं वह उस मक़्दिस की सिर्फ़ नक़ली सूरत और साया है जो आसमान पर है। यही वजह है कि ख़ुदा ने मूसा को मुलाक़ात का ख़ेमा बनाने से पहले आगाह करके यह कहा, “ग़ौर कर कि सब कुछ बिल्कुल उस नमूने के मुताबिक़ बनाया जाए जो मैं तुझे यहाँ पहाड़ पर दिखाता हूँ।”

عِبرانیوں باب 8

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7 लेकिन जो ख़िदमत ईसा को मिल गई है वह दुनिया के इमामों की ख़िदमत से कहीं बेहतर है, उतनी बेहतर जितना वह अह्द जिस का दरमियानी ईसा है पुराने अह्द से बेहतर है। क्यूँकि यह अह्द बेहतर वादों की बुनियाद पर बाँधा गया।

8 अगर पहला अह्द बेइल्ज़ाम होता तो फिर नए अह्द की ज़रूरत न होती। लेकिन ख़ुदा को अपनी क़ौम पर इल्ज़ाम लगाना पड़ा। उस ने कहा, “ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि देख! वो दिन आते हैं कि मैं इस्राईल के घराने और यहूदाह के घराने से एक नया 'अहद बाँधूंगा।

عِبرانیوں باب 8

9 यह उस अह्द की तरह नहीं होगा जो मैंने उनके बाप दादा से उस दिन बाँधा था, जब मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाने के लिए उनका हाथ पकड़ा था, इस वास्ते कि वो मेरे अहद पर क़ाईम नहीं रहे और ख़ुदा वन्द फ़रमाता है कि मैंने उनकी तरफ़ कुछ तवज्जह न की।

10 ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि, जो अहद इस्राईल के घराने से उनदिनों के बाद बाँधूंगा, वो ये है कि मैं अपने क़ानून उनके ज़हन में डालूँगा, और उनके दिलों पर लिखूँगा, और मैं उनका ख़ुदा हूँगा, और वो मेरी उम्मत होंगे।

عِبرانیوں باب 8

11 और हर शख़्स अपने हम वतन और अपने भाई को ये तालीम न देगा कि तू ख़ुदावन्द को पहचान, क्यूँकि छोटे से बड़े तक सब मुझे जान लेंगे।

12 क्यूँकि मैं उन का क़ुसूर मुआफ़ करूँगा। और मै उनके गुनाहों को याद ना रखुँगा।”

13 इन अल्फ़ाज़ में ख़ुदा एक नए अह्द का ज़िक्र करता है और यूँ पुराने अह्द को रद्द कर देता है। और जो रद्द किया और पुराना है उस का अन्जाम क़रीब ही है।