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دانی ایل total 12 ابواب

دانی ایل

دانی ایل باب 2
دانی ایل باب 2

1 {नबूकदनज़र का ख़्वाब } और नबूकदनज़र ने अपनी सल्तनत के दूसरे साल में ऐसे ख़्वाब देखे जिनसे उसका दिल घबरा गया और उसकी नींद जाती रही।

2 तब बादशाह ने हुक्म दिया कि फ़ालगीरों और नजूमियों और जादूगरों और कसदियों को बुलाएँ कि बादशाह के ख़्वाब उसे बताएँ। चुनाँचे वह आए और बादशाह के सामने खड़े हुए।

3 और बादशाह ने उनसे कहा, कि “मैने एक ख़्वाब देखा है, और उस ख़्वाब को दरियाफ़्त करने के लिए मेरी जान बेताब है।”

دانی ایل باب 2

4 तब कसदियों ने बादशाह के सामने अरामी ज़बान में 'अर्ज़ किया, कि ऐ बादशाह, हमेशा तक जीता रह! अपने ख़ादिमों से ख़्वाब बयान कर, और हम उसकी ता'बीर करेंगे।

5 बादशाह ने कसदियों को जवाब दिया, 'मैं तो ये हुक्म दे चुका हूँ कि अगर तुम ख़्वाब न बताओ और उसकी ता'बीर न करो, तो टुकड़े टुकड़े किए जाओगे और तुम्हारे घर मज़बले हो जाएँगे।

6 लेकिन अगर ख़्वाब और उसकी ता'बीर बताओ, तो मुझ से इन'आम और बदला और बड़ी 'इज़्ज़त हासिल करोगे; इसलिए ख़्वाब और उसकी ता'बीर मुझ से बयान करो।

دانی ایل باب 2

7 उन्होंने फिर 'अर्ज़ किया, कि “बादशाह अपने ख़ादिमों से ख़्वाब बयान करे, तो हम उसकी ता'बीर करेंगे।”

8 बादशाह ने जवाब दिया, कि “मैं खू़ब जानता हूँ कि तुम टालना चाहते हो, क्यूँकि तुम जानते हो कि मैं हुक्म दे चुका हूँ।

9 लेकिन अगर तुम मुझ को ख़्वाब न बताओगे, तो तुम्हारे लिए एक ही हुक्म है, क्यूँकि तुम ने झूट और बहाने की बातें बनाई ताकि मेरे सामने बयान करो कि वक़्त टल जाए; इसलिए ख़्वाब बताओ तो मैं जानूँ कि तुम उसकी ता'बीर भी बयान कर सकते हो।”

دانی ایل باب 2

10 कसदियों ने बादशाह से 'अर्ज़ किया, कि “इस ज़मीन पर ऐसा तो कोई भी नहीं जो बादशाह की बात बता सके, और न कोई बादशाह या अमीर या हाकिम ऐसा हुआ है जिसने कभी ऐसा सवाल किसी फ़ालगीर या नजूमी या कसदी से किया हो।

11 और जो बात बादशाह तलब करता है, निहायत मुश्किल है, और मा'बूदों के सिवा जिनकी सुकूनत इंसान के साथ नहीं, बादशाह के सामने कोई उसको बयान नहीं कर सकता।”

دانی ایل باب 2

12 इसलिए बादशाह ग़ज़बनाक और सख़्त ग़ुस्सा हुआ और उसने हुक्म किया कि बाबुल के तमाम हकीमों को हलाक करें।

13 तब यह हुक्म जगह जगह पहुँचा कि हकीम क़त्ल किए जाएँ, तब दानीएल और उसके साथियों को भी ढूँडने लगे कि उनको क़त्ल करें।

14 तब दानीएल ने बादशाह के जिलौदारों के सरदार अरयूक को, जो बाबुल के हकीमों को क़त्ल करने को निकला था, खै़रमन्दी और 'अक़्ल से जवाब दिया।

دانی ایل باب 2

15 उसने बादशाह के जिलौदारों के सरदार अरयूक से पूछा, “बादशाह ने ऐसा सख़्त हुक्म क्यूँ जारी किया?” तब अरयूक ने दानीएल से इसकी हक़ीक़त बताई।

16 और दानीएल ने अन्दर जाकर बादशाह से 'अर्ज़ किया कि मुझे मुहलत मिले, तो मैं बादशाह के सामने ता'बीर बयान करूँगा।

17 तब दानीएल ने अपने घर जाकर हननियाह और मीसाएल और 'अज़रियाह अपने साथियों को ख़बर दी,

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18 ताकि वह इस राज़ के बारे में आसमान के ख़ुदा से रहमत तलब करें कि दानीएल और उसके साथी बाबुल के बाक़ी हकीमों के साथ हलाक न हों।

19 फिर रात को ख़्वाब में दानीएल पर वह राज़ खुल गया, और उसने आसमान के ख़ुदा को मुबारक कहा।

20 दानीएल ने कहा: “ख़ुदा का नाम हमेशा तक मुबारक हो, क्यूँकि हिकमत और कु़दरत उसी की है।

21 वही वक़्तों और ज़मानों को तब्दील करता है, वही बादशाहों को मा'जू़ल और क़ायम करता है, वही हकीमों को हिकमत और अक़्लमन्दों को 'इल्म इनायत करता है।

دانی ایل باب 2

22 वही गहरी और छुपी चीज़ों को ज़ाहिर करता है, और जो कुछ अँधेरे में है उसे जानता है और नूर उसी के साथ है।

23 मैं तेरा शुक्र करता हूँ और तेरी 'इबा'दत करता हूँ ऐ मेरे बाप — दादा के ख़ुदा, जिसने मुझे हिकमत और कु़दरत बख़्शी और जो कुछ हम ने तुझ से माँगा तू ने मुझ पर ज़ाहिर किया, क्यूँकि तू ने बादशाह का मुआ'मिला हम पर ज़ाहिर किया है।”

24 तब दानीएल अरयूक के पास गया, जो बादशाह की तरफ़ से बाबुल के हकीमों के क़त्ल पर मुक़र्रर हुआ था, और उस से यूँ कहा, कि “बाबुल के हकीमों को हलाक न कर, मुझे बादशाह के सामने ले चल, मैं बादशाह को ता'बीर बता दूँगा।”

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25 तब अरयूक दानीएल को जल्दी से बादशाह के सामने ले गया और 'अर्ज़ किया, कि “मुझे यहूदाह के ग़ुलामों में एक शख़्स मिल गया है, जो बादशाह को ता'बीर बता देगा।”

26 बादशाह ने दानीएल से जिसका लक़ब बेल्तशज़र था पूछा, क्या तू उस ख़्वाब को जो मैने देखा, और उसकी ता'बीर को मुझ से बयान कर सकता है?

27 दानीएल ने बादशाह के सामने 'अर्ज़ किया, कि वह राज़ जो बादशाह ने पूछा, हुक्मा और नजूमी और जादूगर और फ़ालगीर बादशाह को बता नहीं सकते।

دانی ایل باب 2

28 लेकिन आसमान पर एक ख़ुदा है जो राज़ की बातें ज़ाहिर करता है, और उसने नबूकदनज़र बादशाह पर ज़ाहिर किया है कि आख़िरी दिनों में क्या होने को आएगा; तेरा ख़्वाब और तेरे दिमाग़ी ख़्याल जो तू ने अपने पलंग पर देखे यह हैं:

29 ऐ बादशाह, तू अपने पलंग पर लेटा हुआ ख़्याल करने लगा कि आइन्दा को क्या होगा, तब वह जो राज़ों का खोलने वाला है, तुझ पर ज़ाहिर करता है कि क्या कुछ होगा।

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30 लेकिन इस राज़ के मुझ पर ज़ाहिर होने की वजह यह नहीं कि मुझ में किसी और ज़ी हयात से ज़्यादा हिकमत है, बल्कि यह कि इसकी ता'बीर बादशाह से बयान की जाए और तू अपने दिल के ख़्यालात को पहचाने।

31 ऐ बादशाह, तू ने एक बड़ी मूरत देखी; वह बड़ी मूरत जिसकी रौनक़ बेनिहायत थी, तेरे सामने खड़ी हुई और उसकी सूरत हैबतनाक थी।

32 उस मूरत का सिर ख़ालिस सोने का था, उसका सीना और उसके बाज़ू चाँदी के, उसका शिकम और उसकी राने तॉम्बे की थीं;

دانی ایل باب 2

33 उसकी टाँगे लोहे की, और उसके पाँव कुछ लोहे के और कुछ मिट्टी के थे।

34 तू उसे देखता रहा, यहाँ तक कि एक पत्थर हाथ लगाए बगै़र ही काटा गया, और उस मूरत के पाँव पर जो लोहे और मिट्टी के थे लगा और उनको टुकड़े — टुकड़े कर दिया।

35 तब लोहा और मिट्टी और ताँम्बा और चाँदी और सोना, टुकड़े टुकड़े किए गए और ताबिस्तानी खलीहान के भूसे की तरह हुए, और हवा उनको उड़ा ले गई, यहाँ तक कि उनका पता न मिला; और वह पत्थर जिसने उस मूरत को तोड़ा, एक बड़ा पहाड़ बन गया और सारी ज़मीन में फैल गया।

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36 “वह ख़्वाब यह है; और उसकी ता'बीर बादशाह के सामने बयान करता हूँ।

37 ऐ बादशाह, तू शहनशाह है, जिसको आसमान के ख़ुदा ने बादशाही और — तवानाई और कु़दरत — ओ — शौकत बख़्शी है।

38 और जहाँ कहीं बनी आदम रहा करते हैं, उसने मैदान के जानवर और हवा के परिन्दे तेरे हवाले करके तुझ को उन सब का हाकिम बनाया है; वह सोने का सिर तू ही है।

39 और तेरे बाद एक और सल्तनत खड़ी होगी, जो तुझ से छोटी होगी और उसके बाद एक और सल्तनत ताम्बे की जो पूरी ज़मीन पर हुकूमत करेगी।

دانی ایل باب 2

40 और चौथी सल्तनत लोहे की तरह मज़बूत होगी, और जिस तरह लोहा तोड़ डालता है और सब चीज़ों पर ग़ालिब आता है; हाँ, जिस तरह लोहा सब चीज़ों को टुकड़े — टुकड़े करता और कुचलता है उसी तरह वह टुकड़े — टुकड़े करेगी और कुचल डालेगी।

41 और जो तू ने देखा कि उसके पाँव और उँगलियाँ, कुछ तो कुम्हार की मिट्टी की और कुछ लोहे की थी; इसलिए उस सल्तनत में फ़ूट होगी, मगर जैसा तू ने देखा कि उसमें लोहा मिट्टी से मिला हुआ था, उसमें लोहे की मज़बूती होगी।

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42 और चूँकि पाँव की उँगलियाँ कुछ लोहे की और कुछ मिट्टी की थीं, इसलिए सल्तनत कुछ मज़बूत और कुछ कमज़ोर होगी।

43 और जैसा तूने देखा कि लोहा मिट्टी से मिला हुआ था, वह बनी आदम से मिले हुए होंगे, लेकिन जैसे लोहा मिट्टी से मेल नहीं खाता वैसे ही वह भी आपस में मेल न खाएँगे।

44 और उन बादशाहों के दिनों में आसमान का ख़ुदा एक सल्तनत खड़ा करेगा, जो हमेशा बर्बाद न होगी और उसकी हुकूमत किसी दूसरी क़ौम के हवाले न की जाएगी, बल्कि वह इन तमाम हुकूमतों को टुकड़े — टुकड़े और बर्बाद करेगी, और वही हमेशा तक क़ायम रहेगी।

دانی ایل باب 2

45 जैसा तू ने देखा कि वह पत्थर हाथ लगाए बगै़र ही पहाड़ से काटा गया, और उसने लोहे और ताँम्बे और मिट्टी और चाँदी और सोने को टुकड़े — टुकड़े किया; ख़ुदा त'आला ने बादशाह को वह कुछ दिखाया जो आगे को होने वाला हैं, और यह ख़्वाब यक़ीनी है और उसकी ता'बीर यक़ीनी।”

46 तब नबूकदनज़र बादशाह ने मुँह के बल गिर कर दानीएल को सिज्दा किया, और हुक्म दिया कि उसे हदिया दें और उसके सामने ख़ुशबू जलाएँ।

دانی ایل باب 2

47 बादशाह ने दानीएल से कहा, “हक़ीक़त में तेरा ख़ुदा मा'बूदों का मा'बूद और बादशाहों का ख़ुदावन्द और राज़ों का खोलने वाला है, क्यूँकि तू इस राज़ को खोल सका।”

48 तब बादशाह ने दानीएल को सरफ़राज़ किया, और उसे बहुत से बड़े — बड़े तोहफ़े 'अता किए; और उसको बाबुल के तमाम सूबों पर इख़्तियार दिया, और बाबुल के तमाम हकीमों पर हुक्मरानी 'इनायत की।

49 तब दानीएल ने बादशाह से दरख़्वास्त की और उसने सदरक मीसक और 'अबदनजू को बाबुल के सूबे की ज़िम्मेदारी पर मुक़र्रर किया, लेकिन दानीएल बादशाह के दरबार में रहा।